-द वायर, जाने-माने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बृहस्पतिवार को कहा कि लॉकडाउन (बंद) हमेशा के लिए जारी नहीं रखा जा सकता और अब आर्थिक गतिविधियों को खोलने की जरूरत है ताकि लोग अपना काम-धंधा फिर शुरू कर सकें. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम सावधानीपूर्वक उठाया जाना चाहिए. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद में उन्होंने...
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फेक न्यूज़, कोरोना महामारी, मुसलमान और सूचना की राजनीति
-न्यूजलॉन्ड्री, सरकार और फेक न्यूज़ यह बड़ा विरोधाभासी लगता है कि हम कोरोना महामारी का इलाज बड़ी गंभीरता से खोज रहे हैं. जिसका इलाज भरसक कोशिशों के बावजूद अब तक संभव नहीं हुआ है. लेकिन ‘फेक न्यूज़’ से उत्पन्न हो रहे निरंतर खतरों को खतरा या बीमारी मानने को तैयार नही हैं, जबकि इसका इलाज हमारे नियंत्रण में है. इसमें एक तर्क हो सकता है कि अभी हमारी सरकार को ‘फेक न्यूज़’ से...
More »तेजी से बदल रहा है खरीददारी का तरीका, 25.6 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंचा ऑनलाइन बाजार
डाउन टू अर्थ, दुनिया भर में ऑनलाइन व्यवसाय तेजी से विकसित हो रहा है। यूएनसीटीएडी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में यह करीब 25.6 ट्रिलियन डॉलर आंका गया है, जोकि करीब 19,62,80,320 करोड़ रुपए के बराबर है। यह 2017 से करीब 8 फीसदी ज्यादा है| इसके अंतर्गत एक व्यापारी से दूसरे व्यापारी के बीच करीब 16,10,11,200 करोड़ रुपए का व्यापार किया गया। जोकि कुल ऑनलाइन व्यवसाय का करीब 83 फीसदी...
More »राजस्थान: दर-बदर रहने वाले घूमंतु समुदाय भुगत रहे हैं लॉकडाउन का खामियाज़ा
-द वायर, मध्य प्रदेश के गुना के रहने वाले 300 से ज्यादा घूमंतु समुदाय के लोग महीने भर पहले ही जैसलमेर के फतेहगढ़ क्षेत्र में जीरा कटाई के लिए आए थे. हर साल की तरह थोड़ी मजदूरी मिलने लगी थी कि 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा हो गई. गुना से करीब 900 किमी सफर कर मजदूरी करने आए ये लोग यहीं फंस गए. पांच दिन जमा राशि खर्च कर मदद का...
More »कोरोना वायरस की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था ख़राब हो रही है?
-बीबीसी, भारत की राजधानी दिल्ली में रह रहे हज़ारों ग़रीबों में से मोहम्मद आलम एक हैं. वो सरकार की ओर से मिलने वाले राशन के लिए लगने वाली कतार में खड़े हैं. अपने बच्चे को गोद में लिए मोहम्मद आलम सरकारी दाल-चावल मिलने के इंतज़ार में हैं. जिस फ़ैक्ट्री में वो दैनिक मज़दूरी करते थे वो बंद हो गई है और उनकी आमदनी का ज़रिया भी ठप हो गया है. आने वाले...
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