-द वायर, केंद्र की मोदी सरकार नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की उस रिपोर्ट में संशोधन कराने की कोशिश कर रही है, जिसमें कैग ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को फटकार लगाते हुए कहा था कि हरियाणा के कैथल स्थित अडानी साइलो में स्वीकृत मात्रा में अनाज न रखने के चलते करदाताओं का 6.49 करोड़ रुपये का बेजा खर्च हुआ है. उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, जिसके अधीन एफसीआई आता...
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डिजिटल कवरेज से डरे बीजेपी मंत्रियों द्वारा आलोचना करने वाले पत्रकारों को ट्रैक करने और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अंकुश का प्रस्ताव
-द कारवां, डिजिटल न्यूज और सोशल मीडिया को नियंत्रण करने के लिए सरकार द्वारा हाल में उठाए गए कदम के पीछे वह रोडमैप है जो कोविड महामारी की चरम अवस्था में सरकार द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में बताया गया था. इस रिपोर्ट को जिस मंत्रियों के समूह या जीओएम ने तैयार किया था उसमें पांच कैबिनेट स्तरीय और चार राज्यमंत्री थे. उस रिपोर्ट में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास...
More »क्यों मोदी सरकार को मुश्किल वित्तीय हालात से उबरने के लिए तेल की आय पर निर्भरता खत्म करनी चाहिए
-द प्रिंट, पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें पिछले कई हफ्तों से बढ़ रही हैं. देश के कुछ हिस्सों में तो पेट्रोल की खुदरा कीमत प्रति लीटर 100 रुपये को पार कर गई है. मांग में नए सिरे से तेज़ी आने के कारण वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, और अपने यहां पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में बढ़ोत्तरी उसी का परिणाम है. पेट्रोल के खुदरा मूल्य का...
More »दिशा रवि की गिरफ्तारी की कहानी और रामदेव की कोरोनिल
-न्यूजलॉन्ड्री, बीते हफ्ते पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को दिल्ली पुलिस ने बेंगलुरू से गिरफ़्तार कर लिया. वो इस समय राजद्रोह के आरोप में जेल में बंद हैं. 22 वर्षीय दिशा पर आरोप है कि उन्होंने किसानों के आंदोलन को जन-समर्थन दिलाने के लिए स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर की गयी टूलकिट के निर्माण में भूमिका निभायी थी. ऐसा उन्होंने भारत के खिलाफ साजिशन किया. तो इस बार हम टूलकिट...
More »चौरी चौरा के सरकारी पुनर्पाठ के ज़रिये गांधी और उनकी अहिंसा को खारिज करने की कवायदें
-जनपथ, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में ‘चौरी चौरा’ शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सम्बोधन को भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के (हाल के दिनों में लोकप्रिय बनाए जा रहे) उस घातक पुनर्पाठ के रूप में देखा जा सकता है जो गांधी और उनकी अहिंसा को पूर्णरूपेण खारिज करता है। संघ परिवार और कट्टर हिंदुत्व की हिमायत करने वाली शक्तियों का गांधी विरोध जगजाहिर रहा है और अनेक बार...
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