इस बजट को देखने से लगता है कि सरकार चुनाव की जल्दीबाजी में है. बहुत संभव है कि मार्च, 2019 के पहले ही चुनाव हो जाये. इसकी आहट बजट में सुनायी दे रही है. इस बजट को पॉपुलिस्ट (लोकलुभावन) कह सकते हैं. हालांकि, सरकार के नजरिये से यह सकारात्मक बजट है. सरकार कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में खास कदम उठायेगी. पर, इसका ठीक-ठीक प्रतिफल किस रूप में सामने आयेगा,...
More »SEARCH RESULT
आर्थिक समीक्षा में बजट की झलक-- राजेश रपरिया
राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद पेश आर्थिक समीक्षा 2017-18 से उम्मीद जतायी गयी है कि 2018-19 में 7 से 7.5 फीसदी आर्थिक वृद्धि हासिल करने के बाद भारत एक बार फिर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़नेवाली बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा. इस समीक्षा में 2017-18 में 6.75 फीसदी आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया है. इससे पहले केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि 6.5 फीसदी रहने...
More »समझें आर्थिक सर्वेक्षण के इशारे-- मृणाल पांडे
बजट सत्र शुरू हुआ और सरकार का 500 पन्नेवाला ताजा आर्थिक सर्वेक्षण सोमवार को (संभवत: पहली बार) एक गुलाबी रंग की खुशनुमा जिल्द में लपेटकर संसद में पेश किया गया. बताया गया, गुलाबी रंग महिला शक्ति का प्रतीक है, मां तुझे सलाम! तब से जानकार लोग कह रहे हैं कि चुनाव का माहौल बनने लगा है और बहनों की आबादी कुल की पचास फीसदी यानी सबसे बड़ा वोट बैंक है....
More »आर्थिक सर्वेक्षण : जलवायु-परिवर्तन से 25% तक घट सकती है किसान की आय
किसान की आमदनी साल 2022 तक दोगुनी करने के सरकार के वादे की राह में बड़ी बाधा जलवायु-परिवर्तन बन सकता है. नये आर्थिक सर्वेक्षण के तथ्य बताते हैं कि अगले कुछ सालों में जलवायु-परिवर्तन की वजह से खेतिहर आमदनी में 25 फीसद तक की कमी आ सकती है. आर्थिक सर्वेक्षण में शामिल जलवायु-केंद्रित अध्याय के मुताबिक किसी साल औसत तापमान के 1 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने पर सिंचाई की सुविधा से वंचित इलाकों में...
More »दावोस के बहाने विषमता का सच-- कुमार प्रशांत
ऐसा कभी-कभार ही होता है कि सच खुद सामने अाकर झूठ का पर्दाफाश कर देता है! ऐसा ही हुअा था, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक अोबामा अपने पद से विदा हो रहे थे. उन्होंने जाते-जाते कहा कि दुनिया की कुल संपत्ति का 50 प्रतिशत केवल 60 लोगों की मुट्ठी में है. अौर प्रकारांतर से यह भी कबूल कर लिया कि यह सच इतना टेढ़ा है कि इसे सीधा करना दुनिया...
More »