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35% परिवारों को ही घर में पेयजल उपलब्ध, जनगणना से निकली 10 साल की तस्वीर

जयपुर. राजस्थान के महज 35 फीसदी परिवारों को ही परिसर में पेयजल उपलब्ध हो रहा है। शहरी क्षेत्र के 78.2% परिवारों को यह सुविधा है, जबकि गांवों में यह महज 21% है। ग्रामीण इलाकों में 58.3% परिवारों के पास ही बिजली है। मूलभूत सुविधाओं से जूझते हुए भी प्रदेश में आधुनिक सुविधाएं हासिल करने के लिए मशक्कत जारी है। कंप्यूटर अब आदिवासी इलाकों में भी पहुंच रहा है। प्रदेश के...

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भूमि अधिग्रहण पर सुलगा रेवाड़ी, हाईवे के दोनों तरफ बहा खून

रेवाड़ी/बावल. भूमि अधिग्रहण को लेकर एनएच-आठ पर आसलवास गांव में किसानों और पुलिस के बीच एक बार फिर जमकर खूनी संघर्ष हुआ। रविवार को किसानों की आक्रामकता को देखते हुए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, पानी की बौछार की, लाठीचार्ज और फायरिंग भी की। एक बार तो पुलिस ने किसानों पर काबू पा लिया, लेकिन जब ग्रामीणों ने पत्थरबाजी शुरू की और घरों से लाठियां लेकर आगे बढ़े तो पुलिसकर्मियों...

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अगवा बचपन, बंधुआ बचपन- प्रियंका दुबे की रिपोर्ट(तहलका)

क्या हम जो खा रहे हैं उसे दिल्ली से अगवा बच्चे आस-पास के इलाकों में बंधुआ मजदूर बनकर उगा रहे हैं? प्रियंका दुबे की रिपोर्ट.    दिल्ली में जहांगीरपुरी की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाला 14 साल का महेंद्र सिंह सात अगस्त, 2008 की सुबह रोज की तरह घर से शौच के लिए निकला था. इसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला. घरवालों ने उसे तलाशने की न जाने...

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मुठभेड़ ‘चाल’!- राजकुमार सोनी, बृजेश पांडे और प्रखर जैन की रिपोर्ट.

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुई कथित मुठभेड़ के दौरान 17 नक्सलवादियों को मारने का सीआरपीएफ का दावा समय बीतने के साथ कई सवालों से घिरता जा रहा है. राजकुमार सोनी, बृजेश पांडे और प्रखर जैन की रिपोर्ट. छत्तीसगढ़ के सारकेगुड़ा गांव और उससे जुड़े हुए दो टोलों कोत्तागुड़ा और राजपेटा की पहचान पिछले महीने के आखिरी हफ्ते तक इतनी ही थी कि वर्ष 2005 में जुडूम समर्थकों ने यहां ग्रामीणों के...

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बात आदर्श विधायिका की- ।।हरिवंश।।

टाइम ’ में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर छपे लेख ‘द अंडरएचीवर ’ पर पूरी भारतीय राजनीति में तीखी बहस हुई. पर इसी लेख में एक अत्यंत महत्वपूर्ण टिप्पणी हैं. भारतीय संसद पर. दरअसल, भारतीय राजनीति में संवेदना, चरित्र और सिद्धांत शीर्ष होते, तो बवाल या बवंडर इस अंश पर होना चाहिए था. यह टिप्पणी सब पर है, पक्ष-विपक्ष समेत पूरी राजनीति पर. संसद कितना कामकाज करती है? गुजरे सत्र में सिर्फ...

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