SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 534

कृषि में बेहतर होता बिहार-- के सी त्यागी

पिछले लोकसभा चुनाव से अब तक 10 राज्यों में भाजपा व कांग्रेस की सरकारों द्वारा किसानों के 2,33,069 करोड़ रुपये की कर्जमाफी की घोषणा की जा चुकी है. हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में की गयी कर्जमाफी के बाद तेज बहस भी हुई कि क्या कर्जमाफी मौजूदा किसानी संकट का हल है? साल 2018 के दसवें माह तक कुल 10.5 लाख करोड़ रुपये का कृषि कर्ज बकाया...

More »

किसानों की नाराजगी का नतीजा-- नीरजा चौधरी

पांच राज्यों के चुनावी नतीजों ने किसानों को फिर से राजनीति के केंद्र में ला दिया है। संदेश साफ है कि खेती-किसानी के हित में हमारे नेताओं को अब गंभीरता से सोचना ही होगा। जनादेश बता रहा है कि लोग अब अपनी जरूरतों को अहमियत देने लगे हैं। खासतौर से नौकरी और आमदनी उनके लिए महत्वपूर्ण सवाल बनकर उभरे हैं। इसीलिए चुनावों में उन्होंने अन्य सभी ‘इमोशनल' मुद्दों को किनारे...

More »

क्या किसान-आंदोलन अब देश की राजनीति का मुख्य कथानक बन चला है?- योगेन्द्र यादव

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के झंडे तले देश के कोने-कोने से हज़ारों हज़ार की तादाद में किसान दिल्ली आ डटे थे. एआईकेएससीसी 200 से ज़्यादा किसान-संगठनों का एक समवेत मंच है. ये पहला मौका था जब मीडिया ने सड़क-जाम या फिर कानून-व्यवस्था का मसला कहकर कन्नी नहीं काटी बल्कि किसान-रैली को सही में किसान-रैली कहकर ही लोगों को बताया-दिखाया. दोपहर बाद का सत्र राजनीतिक दलों के लिए...

More »

सियासी दलों पर किसानों का कर्ज-- गोपालकृष्ण गांधी

मेरा यह कहना उन्हें पसंद नहीं आएगा। सच यह है कि मैं कहने की कोशिश भी करूंगा, तो वह जबरन इनकार कर देंगे। फिर भी, यदि मुझे कहने का मौका मिलेगा, तो वह मुझे टोकेंगे और कहने से रोक देंगे। लेकिन मुझे तो अपनी बात कहनी ही है। पालागुम्मि साईनाथ ने वह कर दिखाया, जो कोई दूसरा नहीं कर सका। किसी ने ऐसा करने की अभी तक कोशिश भी नहीं की...

More »

मोदी राज में किसान: डबल आमद या डबल आफत?

खेती-किसानी के मोर्चे पर केंद्र सरकार ने गुजरे चार सालों में क्या कुछ किया है, उसपर आप महज एक घंटे में राय बनाना चाहते हैं तो फिर यह पुस्तक आप ही के लिए है.(पुस्तक आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं)   किसानी के मोर्चे पर केंद्र सरकार के हासिल-लाहासिल को परखने के तीन रास्ते हो सकते हैं. एक तो सरकार के वादों को परखना कि वे किस हद तक पूरे हैं. दूसरे, सरकार के दावों...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close