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कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए 'वर्क फ्रॉम होम' जैसे उपाय भारतीय श्रमिकों के लिए नहीं हैं मददगार

साल 2020 से पर्दा उठते ही इसके शुरुआती जनवरी महीने में चीन जैसी महाशक्ति को COVID-19 के व्यापक प्रकोप से झूझते हुए पाया, जोकि कुछ दिनों के भीतर ही वैश्विक स्तर पर फैल गया. COVID-19 की तीव्र प्रसार क्षमता के अध्ययन के बाद, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बाकी की आबादी के बीच तेजी से इसके प्रसार को रोकने के लिए कुछ तरीके सुझाए हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इंटरनेट कनेक्टिविटी के युग...

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किसानों के लिए बने रिस्क मैनेजमेंट अथॉरिटी- अशोक दलवई

-आउटलुक, औद्योगिक और वित्तीय क्षेत्र की तरह भारत के कृषि क्षेत्र में भी सुधारों की जरूरत है। इसमें विदेशी कंपनियों और घरेलू कॉरपोरेट सेक्टर को निवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। 1991 में शुरू हुए आर्थिक सुधारों की बदौलत भारत 2.7 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बना है, लेकिन कृषि क्षेत्र अभी तक इन सुधारों से वंचित है। हमें यह नहीं समझना चाहिए कि कृषि क्षेत्र सुधारों के दबाव को नहीं...

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कोरोना वायरस: किसान और पोल्ट्री उद्योग को एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान

-आउटलुक, ब्रायलर, चिकन से कोरोना वायरस फैलने की अफवाहों के कारण पोल्ट्री उद्योग करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है। पोल्ट्री किसानों को तो नुकसान हो ही रहा है, उद्योग से जुड़े लोगों की आजीविका पर भी संकट छा गया है। इसलिए विशेषज्ञ सरकार से आगे आने और जरूरी कदम उठाने की बात कर रहे हैं। कृषि अर्थशास्त्री और पोल्ट्री फेडरेशन आफ इंडिया के एडवायजर विजय सरदाना ने...

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मिट्टी की जांच करवाकर फसल लेने वाले किसानों को होता है सबसे ज्यादा फायदा

-फसल क्रांति, लगातार ख़राब होते मिट्टी के स्वास्थ्य से किसानों की समस्या बढ़ रही है. इससे फसल उत्पादन में कमी आ ही रही है इसके साथ ही मानव शरीर को भी नुकसान पहुँच रहा है. मिट्टी के स्वास्थ्य का ख़राब होने का एक बड़ा कारण है,  किसानों द्वारा अत्यधिक कृषि रसायनों और उर्वरकों का इस्तेमाल करने से मिट्टी का स्वास्थ्य ख़राब हो रहा है.  जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति कम लगातार...

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खरपतवार के साथ प्राकृतिक खेती -बाबा मायाराम

मध्यप्रदेश के होशंगाबाद शहर से कुछ ही दूरी पर है टाइटस फार्म। होशंगाबाद भोपाल सड़क मार्ग पर नर्मदा नदी के तट पर स्थित इस इलाके में प्राकृतिक खेती होती है जोकि जमीन की जुताई किए बगैर की जाती है। इस इलाके में फसल के अवशेषों को जलाने के बजाय उससे भूमि ढकाव करते हैं, जिससे खेत में नमी रहती है और जल संचय होता है। उसमें पनपने वाले केंचुए और...

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