भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...
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बेलगाम हो जाएंगी चीनी मिलें- महक सिंह
रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने के संबंध में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी। इसी के आधार पर सरकार ने चीनी उद्योग को आंशिक रूप से नियंत्रण मुक्त करने के फैसले को मंजूरी दे दी है। मगर यह फैसला गन्ना किसानों या उपभोक्ताओं के नहीं, चीनी मिलों के पक्ष में है। लेवी चीनी बेचने...
More »मार्च के बाद भी इतनी ही रहेगी महंगाई: RBI
विनिर्मित उत्पादों संबंधी मुद्रास्फीति में नरमी के बावजूद खाद्य एवं ईंधन मुद्रास्फीति का दबाव बने रहने की संभावनाओं को देखते हुए आरबीआई का मानना है कि अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति मौजूदा स्तर पर बनी रहेगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति की आज जारी मध्य तिमाही समीक्षा में कहा...
More »प्याज के निर्यात पर रोक लगाने से इंकार
सरकारी रुख प्याज के मूल्य में आई तेजी अस्थाई थी देश में 170 लाख टन प्याज का उत्पादन प्याज की खपत का आंकड़ा 150 लाख टन पर सरप्लस स्टॉक होने के कारण निर्यात की अनुमति केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से इंकार किया है। उसका कहना है कि प्याज के मूल्य में अस्थाई तेजी...
More »किसानों की बर्बादी की योजना- देविंदर शर्मा
इससे अधिक नुकसानदेह और कुछ नहीं हो सकता। चीनी से नियंत्रण हटाने की योजना है। इससे गन्ना उगाने वाले किसान शुगर मिलों की दया पर निर्भर हो जाएंगे। रंगराजन कमेटी द्वारा गन्ने के स्टेट एडवाइस्ड प्राइस (एसएपी) को खत्म करने के सुझाव के बाद अब किसानों को फेयर एंड रेमुनेरेटिव प्राइस (एफआरपी) पर निर्भर रहना होगा। एफआरपी का निर्धारण केंद्र सरकार करती है और यह राज्य सरकारों द्वारा तय किए जाने...
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