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‘हिंदी प्रदेश’ की पहचान के मायने- शैबाल गुप्ता

शैबाल गुप्ता जाने-माने अर्थशास्त्री और एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के सदस्य सचिव हैं. पिछले दिनों इलाहाबाद स्थित गोविंद बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट ने उन्हें 29वें ‘गोविंद बल्लभ पंत मेमोरियल लेक्चर' में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था. इस अवसर पर बोलने के लिए उन्होंने जो विषय चुना, उसका शीर्षक था- ‘आइडिया ऑफ द हिंदी हार्टलैंड'. हिंदी में इसे ‘हिंदी प्रदेश की धारणा' कहा जा सकता है. इस...

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सतशिवम- लोकपाल या राज्यपाल?- हरि जयसिंह

पूर्व प्रधान न्यायाधीश पी. सतशिवम को केरल का राज्यपाल बनाए जाने पर कई बुनियादी कानूनी और राजनीतिक मुद्दे उठे हैं, जिन पर अकादमिक दृष्टिकोण के साथ बहस की जानी चाहिए। लेकिन तब भी इसे एक ऐसे व्यक्ति की योग्यताओं के साथ न्याय नहीं किए जाने की तरह ही देखा जाएगा, जिसने यह पद पाने के लिए किसी तरह की 'लॉबिंग" नहीं की थी। अनेक क्षेत्रों से इस आशय के प्रश्न उठे...

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क्यो योजना आयोग गैर-जरुरी है- परंजयगुहा ठाकुरता

रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने उद्बोधन में कहा कि उनकी सरकार ने योजना आयोग को समाप्त करने और उसके स्थान पर एक नई संस्था बनाने का निर्णय ले लिया है, जो कि देश के संघीय ढांचे को और मजबूत करेगी। फिलवक्त यह संभव नहीं है कि मार्च 1950 में पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित योजना आयोग के मौजूदा स्वरूप और नए प्रस्तावित संस्थान के बीच हम तुलना...

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खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह

जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...

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हाशिए पर भारतीय भाषाएं- अंजुम शर्मा

जनसत्ता 29 जुलाई, 2014 : लोकतंत्र में अगर तंत्र की भाषा लोक से भिन्न हो जाए तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा सूचक नहीं है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में भाषाई आधार पर भेदभाव के जो आरोप सामने आ रहे हैं उनसे अंगरेजी मानसिकता की वर्चस्ववादी नीति और भारतीय भाषाओं की दुर्दशा पर एक बार फिर विचार करने की जरूरत पैदा हुई है।...

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