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कोविड-19 लॉकडाउन में बढ़ती समाचारों की खपत, गलत सूचनाओं का मकड़जाल और साइबर लूट

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान लोग देश और दुनिया की ताजा सूचनाओं के लिए टीवी मीडिया और इंटरनेट का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. टीवी मीडिया और इंटरनेट की खपत में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. टेलीविज़न मॉनिटरिंग एजेंसी BARC (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन की अवधि में टीवी पर समाचारों की खपत 298% बढ़ी है. इसके...

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भारत में कोरोना से बड़ा संकट नफ़रत और भूख है- अरुंधति रॉय

दुनियाभर में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बहुत गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं. आप अपने देश, जहाँ कई प्रकार की असमानताओं के कारण, स्थिति और भी जटिल हो जाती है, के बारे में हमारे दर्शकों को क्या कहना चाहेंगी? अगर संक्रमण के शिकार लोगों की संख्या पर नज़र डालें तो कोविड अभी तक भारत पर बड़े संकट के तौर पर नहीं नज़र आ रहा, हालाँकि इन आंकड़ों की विश्वसनीयता के...

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देश में इन समूहों पर लटक रही है कोरोना वायरस के खतरे की तलवार!

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 25 और 30 मार्च, 2020 के बीच, भारत में कुल COVID-19 मामलों की कुल संख्या दोगुनी यानी 519 से बढ़कर 1,251 हो गई है. 6 दिनों की अवधि में, COVID-19 से होने वाली मौतों की कुल संख्या 9 से 32 हो गई है. इस महामारी जैसी स्थिति में, जब कोरोनोवायरस संक्रमण देश भर में जंगल की आग...

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भारत और इंडिया: 21 दिनों के लॉकडाउन के ऐलान से जो तसवीर उभरी वह देश की गलत प्राथमिकताओं को दर्शाती है

-आउटलुक, “बिना व्यापक योजना के महज चार घंटे की मोहलत पर 21 दिनों के लॉकडाउन के ऐलान से जो तसवीर उभरी वह देश की गलत प्राथमिकताओं को दर्शाती है” यह मानवीय त्रासदी है, जो हमारे प्रशासकों ने देश के गरीब तबके पर थोप दी है। सरकार ने कोरोनावायरस से फैलने वाली बीमारी कोविड-19 की रोकथाम के लिए देश भर में 24 मार्च की आधी रात से 21 दिन का लॉकडाउन किया। उसके...

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यह बात बारहा सामने आई है कि कोरोना जैसी किसी भी महामारी से सर्वाधिक मौतें भारत में होंगी

-न्यूजलॉन्ड्री, इंडियन जर्नल फ़ॉर मेडिकल रीसर्च के मार्च 2018 के संस्करण में ललित कांत और उनके सहकर्मी रणदीप गुलेरिया ने एक लेख लिखा था. इसका शीर्षक था “पैंडेमिक फ़्लू 1918: आफ़्टर हंड्रेड ईयर इंडिया इज़ ऐज़ वल्नरेबल.” इस लेख का मुख्य बिंदु था कि हिंदुस्तान की स्वास्थ्य सेवाओं की जैसी जर्जर हालत है उसे देखते हुए अगर स्पैनिश इनफ़्लुएंज़ा जैसी कोई भी महामारी दुनियां में फैलती है तो विश्व में सर्वाधिक...

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