नई दिल्ली। देश में कीमतें मानसून और तेल मूल्यों जैसे कई कारकों पर निर्भर हैं। इन पर न तो रिजर्व बैंक (आरबीआइ) और न ही सरकार का कोई नियंत्रण है। इसलिए महंगाई दर का लक्ष्य तय करना भारत में काम नहीं आएगा। आरबीआइ के पूर्व गवर्नर विमल जालान ने एक कार्यक्रम में यह बात कही। जालान के मुताबिक महंगाई दर का लक्ष्य तय करने की नीति अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में...
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नए कर विधान का मंगलाचरण-- पी. चिदंबरम
कुछ साल पहले हमने गंतव्य आधारित कर-प्रणाली का वादा किया था, और वक्त आ गया है जब वह वादा पूरा होगा, अगर पूर्ण रूप में नहीं, तो भी काफी हद तक। ठीक आधी रात के समय, जब कारोबारियों और उपभोक्ताओं को नींद नहीं आ रही होगी, भारत एक नए कर-विधान का आगाज करेगा। ऐसी घड़ी आती है, जो कि हमारे आर्थिक इतिहास में कभी-कभी ही आती है, जब हम पुराने...
More »किस हद तक माफ हों कर्ज-- आर. सुकुमार
भारत में इस मानसून की यदि कोई थीम है, तो मेरी राय में वह ‘कर्ज' है। तीन मामले आपके सामने रख रहा हूं। पहला, रिजर्व बैंक अपनी नई ताकतों से परिचय करा रहा है। नई बैंकरप्सी कोड के तहत उसने 12 बड़ी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इन कंपनियों पर हमारे बैंकिंग सिस्टम के कुल एनपीए यानी डूबे हुए कर्ज का लगभग एक चौथाई हिस्सा बकाया है। यह रकम...
More »गाय के नाम पर हिंसा- 97 प्रतिशत घटनाएं मोदी राज की
गोवंश से जुड़ी हिंसा के मामले केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनने के बाद बहुत तेजी से बढ़े हैं। डाटा वेबसाइट इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के अनुसार साल 2010 से 2017 के बीच गोवंश को लेकर हुई हिंसा में 57 प्रतिशत पीड़ित मुसलमान थे। इस दौरान गोवंश से जुड़ी हिंसा में मारे जाने वालों में 86 प्रतिशत मुसलमान थे। इन आठ सालों...
More »जनसंख्या नियंत्रण की चुनौती-- बालमुकुंद ओझा
आज विश्व की जनसंख्या सात अरब से ज्यादा है। अकेले भारत की जनसंख्या सवा अरब से अधिक है। भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। आजादी के समय भारत की जनसंख्या तैंतीस करोड़ थी, जो आज चार गुना तक बढ़ गई है। परिवार नियोजन के कमजोर तरीकों, अशिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के अभाव, अंधविश्वास और विकासात्मक असंतुलन के चलते आबादी तेजी से बढ़ी है। संभावना है...
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