एनडीए सरकार का दूसरा वर्ष समाप्त होने को है। यूं तो सरकार की दिशा निर्धारित हो चुकी है। फिर भी नये वर्ष में दिशा परिवर्तन की जरूरत दिखाई पड़ती है। एनडीए के पहले कार्यकाल का विवेचन करने के पहले वर्तमान चुनौती कुछ स्पष्ट हो जाती है। वाजपेयी सरकार ने कम से कम चार महान उपलब्धियां हासिल की थीं। भारत को परमाणु शक्ति बनाया था, कारगिल युद्ध को जीता था, इनफारमेशन...
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एक-समान शिक्षा प्रणाली से होगा बेहतर समाज का निर्माण
बेहतर देश के निर्माण के लिए बेहतर समाज का होना पहली शर्त है. किसी भी देश का सतत विकास तभी मुमकिन है, जब वहां के विभिन्न समाज और समुदायों के बीच सौहार्द, शांति व भाईचारा हो. बीता साल 2015 इस लिहाज से कुछ अच्छी यादों के साथ-साथ कई कड़वी यादें भी छोड़ गया है. हाल के दशकों में तेज आर्थिक विकास के बावजूद हमारे समाज में व्याप्त कुछ...
More »वक्त के पन्नों पर जो दर्ज कर गये अपनी अमिट छाप
नियम यह है विधाता का / सभी आकर चले जाते / मगर कुछ लोग ऐसे हैं / जो जाकर भी नहीं जाते। न सब धनवान होते हैं / न सब भगवान होते हैं/ दयालु, लोकप्रिय, सतपाल / भले इनसान होते हैं।। ... और ऐसा कोई इनसान जब वक्त के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़ कर हमारे बीच से विदा होता है, तो यह हम सबका साझा फर्ज बनता...
More »भारत, नरेंद्र मोदी और गुजरा साल-- आकार पटेल
2015, उम्मीदों से लबालब होने के साथ कुछ हैरान करनेवाला भी वर्ष रहा. भारतीय क्रिकेट टीम जहां विश्व क्रिकेट के क्षितिज पर एक शक्ति के रूप में उभरी, तो शेयर बाजार लगभग वहीं खड़ा है, जहां वह मई 2014 के अंत में था. वैसे एयर इंडिया, ऊर्जा व परिवहन क्षेत्रों में सरकार की नीतियां रंग लायी. बिहार चुनाव में भाजपा की हार के बीच व्यक्तिगत तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी...
More »‘घर से काम’ भी है एक विकल्प-- अभिषेक कुमार
दिल्ली में पहली जनवरी से कारों के प्रवेश के लिए उनके सम-विषम नंबर को आधार बनाकर फिलहाल 15 दिनों के लिए जो फॉर्मूला लागू किया गया है, उससे बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर कुछ लगाम लगने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि कई निजी कंपनियों और यहां तक कि विदेशी दूतावासों की तरफ से इस बारे में यह कहकर इस पर आपत्ति की गई है कि अगर इस फॉर्मूले...
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