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इस आंदोलन के निहितार्थ- आनंद प्रधान

जनसत्ता 3 जनवरी, 2012: दिल्ली की वह बहादुर लड़की शरीर और मन पर हुए प्राणांतक घावों के बावजूद जीना चाहती थी। देश के करोड़ों लोग भी यही चाहते थे। लेकिन वह लड़ते हुए एक शहीद की तरह चली गई। यह सही है कि वह भारतीय समाज में स्त्रियों के खिलाफ होने वाली बर्बर यौन हिंसा और भेदभाव की पहली शहीद नहीं है और न आखिरी। उसके जाने के बाद भी दिल्ली,...

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42 विधायकों पर चल रहे हैं रेप के मामले

नई दिल्ली। दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद पूरा देश आक्रोश में है। लोग दोषियों को फांसी और महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर कड़े कानून की मांग कर रहे हैं। लेकिन यदि सरकार में ही बैठे कई नेता रेप के आरोपी हैं तो फिर उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह रेप के मामले...

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साल 2012: शहर और गांव दोनों में अपराध का ग्राफ बढ़ा

शीशपाल सिंह, नोएडा। जिले में अपराध का ग्राफ पिछले पांच साल में करीब दो गुना बढ़ा है। इससे जाहिर होता है कि पुलिस अपराधों पर शिकंजा कसने में नाकामयाब साबित हो रही है। अपराधी धड़ल्ले से वारदात को अंजाम दे रहे हैं। इससे लोग अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। शहरी क्षेत्र के मुकाबले देहात क्षेत्र में वाहन चोरी की वारदातें बढ़ी हैं। पुलिस आंकड़ों के मुताबिक जहां 2008 में लूट...

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महिलाओं के 'मर्यादा' पार करने पर मिलेगी सीता 'हरण' जैसी सज़ा: भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय

भोपाल। भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने रामायण के हवाले से कहा, "एक ही शब्द है- मर्यादा। लक्ष्मण रेखा हर व्यक्ति की खींची गई है, उस रेखा को कोई भी पार करेगा, तो रावण सामने बैठा है, वह सीता हरण करके ले जाएगा।" जहां महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर देश भर के लोगों में आक्रोश व्याप्त है, वहीं ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो इतना होने के बाद भी...

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उदार पीढ़ी का उद्वेग- सुधीश पचौरी

जनसत्ता 4 जनवरी, 2012: पिछले करीब पंद्रह दिनों में एक युवा विमर्श प्रकट हुआ है, जो कई वजहों से  ऐतिहासिक है। उसके कारक, लक्ष्य और परिणाम नए हैं। वह प्रकटत: स्वत:स्फूर्त स्वभाव से असंगठित और अराजनीतिक प्रतीत होता है। वह ‘परदुख कातर’ है। पुलिस प्रशासन और सत्ता से अन्याय के बरक्स न्याय के सवाल कर रहा है। वह बर्बरता के विरोध में है। वह एक ऐसा नागरिक समाज चाहता है, जिसमें...

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