धमतरी। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के 9 दिन पूरे हो गए, लेकिन डुबान क्षेत्र के 32 गांवों के एक भी किसान ने सोसाइटियों में अपना धान नहीं बेचा है। जिससे खरीदी केन्द्रों में अब तक एक दाना भी धान नहीं पहुंचा है। जब तक डुबान संघर्ष समिति की मांगे पूरी नहीं होती, तब तक धान नहीं बेचने क्षेत्र के किसान एकजुट हैं। मांगे पूरी नहीं होती देख किसान हाइवे...
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अन्न की बर्बादी और भूख-- रविशंकर
हर साल देश में करीब पचास हजार करोड़ रुपए का अनाज बर्बाद हो जाता है। एक ऐसे देश में जहां करोड़ों की आबादी को दो जून ठीक से खाना नहीं नसीब होता, वहां इतनी मात्रा में अनाजों की बर्बादी किस तरह की कहानी कहती है? इसकी पड़ताल कर रहे हैं रविशंकर। यह विडंबना नहीं, उसकी पराकाष्ठा है कि सरकार किसानों से खरीदे गए अनाज को खुले में छोड़कर अपना कर्तव्य पूरा...
More »ताकि न आए 'नि:शब्द' होने की नौबत - गिरजाशंकर
प्रदेश के किसान अभी जिस बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं, उन्हें उस हाल में पहुंचाने के लिये सूखा ही जिम्मेदार नहीं। इसमें सरकारी तंत्र की नाकामियों की भी बड़ी भूमिका है। यह तथ्य हाल ही में उच्चाधिकारियों के गांव दौरे के उस अनुभव से जाहिर होता है, जिससे स्वयं मुख्यमंत्री रूबरू हुए। किसान इतने परेशान हैं कि लगभग हर दिन प्रदेश के किसी न किसी इलाके से किसानों...
More »'बैंक-बीमा कंपनियां ठग रहे हैं किसान को'-- योगेन्द्र यादव
किसानों के लिए फ़सल का बीमा सुनने में बहुत अच्छा विचार लगता है लेकिन असल में जब किसान बैंक से क़र्ज़ लेता है तो बिना उससे पूछे, बिना उसकी अनुमति लिए ज़बर्दस्ती उसके अकाउंट से पैसा काटकर बीमा करवा दिया जाता है. बीमा करवाना है या नहीं इसका फ़ैसला किसान नहीं ले सकता. बीमा किस कंपनी से करवाना है, किन शर्तों पर करवाना है यह भी किसान के हाथ में नहीं....
More »फ़सल बंपर, लेकिन किसान क्यों दे रहे जान?-- जुबैर अहमद
18 वर्षीय लवप्रीत सिंह का जीवन सामान्य तरीके से गुज़र रहा था. लेकिन पिछले महीने उनकी ज़िन्दगी में तब उथल-पुथल आई जब उनके पिता, 42 वर्षीय किसान बलविंदर सिंह, ने आत्महत्या कर ली. अमृतसर के निकट एक छोटे से गांव में अब वह अपनी मां और दादी के साथ रहते हैं और अकेली संतान होने के नाते परिवार की सारी ज़िम्मेदारियां उनके युवा कधों पर आ गई हैं. धान के दाम तेज़ी...
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