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बुंदेलखंड में कुपोषण की समस्या पर नीति निर्माताओं को जरूर ध्यान देना चाहिए!

हाल की मीडिया रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को लगभग रु. 6,300 करोड़ की परियोजनाओं की घोषणाएं की गई हैं, जिनमें झांसी में टैंक रोधी मिसाइलों के प्रणोदन प्रणाली के लिए 400 करोड़ रुपये का संयंत्र भी शामिल है. 18 नवंबर, 2021 को झांसी नोड (उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे से संबंधित) में पहली परियोजना के लिए नींव...

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किसानों और सरकारी बैंकों की लूट के लिए नया सौदा तैयार

-न्यूजक्लिक, ऋण, भूमि उपयोग को बदलने का शक्तिशाली औजार है और एसबीआई-अडानी सौदा, भूमि उपयोग के पैटर्न में इस तरह का बदलाव करने का ही एक तरीका है। दूसरे शब्दों में, ऐसे ‘‘राष्ट्रीयकृत बैंक-एनबीएफसी’’ सौदों के जरिए, सरकार वह हासिल करने की कोशिश कर रही है, जो वह तीन कृषि कानूनों के रास्ते से हासिल नहीं कर पायी है। ऐसे सौदों को वैसे ही भीषण तरीके से तथा वैसी ही एकाग्रता...

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तीन साल में कृषि शिक्षा और अनुसंधान के बजट में 57 प्रतिशत की कमी

-डाउन टू अर्थ, कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के अधीन चल रहे कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग का बजट लगातार घट रहा है। संसद के बीते शीतकालीन सत्र में कृषि, पशुपालन एवं खाद्य प्रसंस्करण की संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह बात सामने आई। कमेटी ने कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान की गिरती दशा पर नाराजगी भी जताई।  इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग द्वारा जो प्रस्ताव...

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मनरेगा निधि का आवंटन: मांग आधारित काम की गारंटी का भुगतान

-आइडियाज फॉर इंडिया, केंद्र ने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के लिए वित्त पोषण हेतु अतिरिक्त राशि के रूप में रुपये 25,000 करोड़ की मांग की है। अश्विनी कुलकर्णी ने आधिकारिक आंकड़ों का उपयोग करते हुए सरल गणना के आधार पर यह तर्क दिया है कि वास्तविक निधि की आवश्यकता वास्तव में इससे बहुत अधिक है। चूँकि महामारी ग्रामीण आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है, सरकार को मांग...

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समावेशी कृषि हो 2022 के लिए विकास का रोडमैप

-रूरल वॉइस, अब देश के नीति निर्माताओं को अभी की जरूरत, वर्तमान संकट का उपाय जैसे शब्दों को नकार कर देश की समस्याओं के लिए स्थायी समाधान तलाशने होंगे। भ्रष्टाचार, निरक्षरता, शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, गरीबी, जलवायु परिवर्तन, घटता भूजल स्तर, वायु प्रदूषण, ठोस अवशेष, महिला सशक्तीकरण, बेरोजगारी, कृषि संकट, बाढ़, सुखाड़, लंबित न्याय, सकल घरेलू उत्पाद आदि मुद्दे आज देश के सामने हैं जिनको प्राथमिकता के आधार पर हल...

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