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अच्छे दिनों की सतर्क उम्मीद-- कन्हैया सिंह

चालू वित्त वर्ष का आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि आर्थिक मोर्चे पर सरकार इस बार काफी सतर्कता बरत रही है। खासकर वर्तमान के आकलन और भविष्य के लक्ष्य तय करने के मामले में। बड़ी-बड़ी उम्मीदें बांधने की बजाय उसने व्यावहारिक रवैया अपनाया है। मसलन, अगले वित्त वर्ष की विकास दर को ही लें। सरकार ने अनुमान लगाया है कि अगले साल जीडीपी की विकास दर सात से साढ़े सात फीसदी के...

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आर्थिक समीक्षा 2015-16 की प्रमुख बातें

संसद में शुक्रवार को पेश वित्त वर्ष 2015-16 की आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं। - जीडीपी की वृद्धि 2016-17 में 7-7.5 प्रतिशत रहेगी। - चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहेगी, यदि निर्यात में तेज बढ़ोतरी हो तो दीर्घकाल में संभावित वृद्धि की क्षमता 8-10 प्रतिशत तक। - वैश्विक स्तर पर निराशा के वातावरण में भारत स्थिरता की भूमि। - कच्चे तेल का भाव अगले वित्त वर्ष में 35...

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मौसम की मार से निपटने के उपाय करे सरकार

बजट में किसान कई बातों के अलावा मौसम की मार से बचाव के उपाय भी चाहता है। वह बेहतर मौसम अनुमान, फसलों की समय से क्षतिपूर्ति, सीधी सब्सिडी, सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जैविक खेती की उम्मीदें रखता है। जानकार भी कहते हैं कि सरकार कृषि और उससे जुड़े सेक्टर में भरपूर निवेश करे ताकि सूखे में स्थितियां नियंत्रण में बनी रहें। एक नजर- बजट 2016-17: क्या हैं उम्मीदें नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो किसानों...

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युवा, लाभांश और देश का भविष्य- संदीप मानुधने

देश में कहीं भी जाइये, चारों ओर अगर चुनौतियों के अलावा कोई और चीज साफ नजर आयेगी, तो वह है युवा! हर युवा की आंखों में एक चमक है- कोई अपना स्टार्टअप करके देश बदलने का स्वप्न देख रहा है (आखिर इस साल की ताजतरीन मिठाई जो ठहरी!), कोई विदेश जाने का (इतनी अच्छी लाइफ यहां कैसे मिलेगी!), तो कोई आइएएस बन कर प्रशासनिक क्रांति लाने का सपना देख रहा...

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देशप्रेम और देशद्रोह के बीच बजट-- पुष्पेश पंत

किसी भी सरकार के लिए बजट बनाना अौर उसे पास कराना एक बड़ी चुनौती होती है. यदि यह वित्तीय विधेयक पास नहीं होता, तो इसे सदन के विश्वास का अभाव समझा जाता है अौर सरकार गिर सकती है.  अगर बजट पास भी हो जाये अौर उसके प्रावधानों से जनता में असंतोष फैलता है, तब भी किसी सरकार के लिए अपने जनाधार को बरकरार रखना कठिन होता जाता है. हर नयी...

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