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बाड़मेर के ग्रामीणों की पहल, पक्षियों के दाना-पानी के लिए टिन के डब्बे को दिया नया रूप!

-द बेटर इंडिया, मई के अंतिम हफ्ते में राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सहित भारत के कई हिस्सों में प्रचंड गर्मी थी। जिससे दिन का तापमान सामान्य से काफी ऊपर पहुँच गया था। दिल्ली में अधिकतम तापमान 47 डिग्री दर्ज किया गया जबकि राजस्थान के चुरू में तापमान 50 डिग्री तक पहुँच गया। राज्य में सिर्फ चुरू ही अधिक प्रभावित क्षेत्र नहीं था। अधिकांश शहरों में तापमान 45 डिग्री...

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16 दिन में पेट्रोल के दाम में 8.30 और डीज़ल के दाम में 9.46 रुपये प्रति ​लीटर की वृद्धि

-द वायर, तेल कंपनियों ने सोमवार को लगातार 16वें दिन पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ा दिए. पेट्रोल के दाम में सोमवार को 33 पैसे और डीजल के दाम में 58 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की गई. इस वृद्धि के बाद खुदरा दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए. ताजा वृद्धि के बाद दिल्ली में पेट्रोल का दाम 79.23 रुपये से बढ़कर 79.56 रुपये और डीजल का दाम 78.27 रुपये से बढ़कर 78.55...

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मक्का किसानों की मुश्किलें, समर्थन मूल्य से 750 रुपये नीचे भाव पर बेचने को मजबूर

-आउटलुक, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 700 से 750 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर मक्का बेचने को मजबूर किसानों की मुकिश्लें कम नहीं हो रही हैं। मक्का की दैनिक आवक आगे उत्पादक मंडियों में और बढ़ेगी, जबकि पोल्ट्री उद्योग की मांग सामान्य के मुकाबले 25 से 30 फीसदी ही आ रही है। ऐसे में खरीफ सीजन में भी मक्का की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। मक्का कारोबारी राजेश गुप्ता...

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लॉकडाउन के दौरान 55 पत्रकारों को मिली धमकियां, मुक़दमे और गिरफ़्तारी: रिपोर्ट

-द वायर,  बीते 25 मार्च से 31 मई, 2020 के बीच राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान कोरोना वायरस पर खबर करने या अभिव्यक्ति की आजादी के इस्तेमाल पर देशभर के कम से कम 55 पत्रकारों को गिरफ्तारी, मुकदमे, समन या कारण बताओ नोटिस, शारीरिक प्रताड़ना, कथित तौर पर संपत्ति के नुकसान या धमकियों का सामना करना पड़ा. यह जानकारी दिल्ली के ‘राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप’ की इस हफ्ते जारी ‘इंडिया: मीडिया क्रैकडाउन...

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किसानों को पैकेज और अध्यादेशों से कोई फायदा नहीं

-आउटलुक, आजादी के बाद पिछले 70 साल से किसान घाटे का सौदा कर रहे हैं। एक तरफ उसकी जोत कम हो रही है, दूसरी तरफ उत्पादन की लागत बढ़ रही है। लेकिन उन्हें उपज बेचने पर लागत भी नसीब नहीं होती है। हर सरकार किसानों की पीड़ा का जिक्र चुनाव प्रचार में तो करती है, लेकिन जीतने के बाद पांच साल के लिए किसानों को भूल जाती हैं। जहां कोरोना से...

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