‘बधाई हो, आपकी मेहनत रंग लायी!' बजट के अगले दिन एक दोस्त से मिली इस बधाई से मैं हैरान था. ‘किस बात की बधाई?' मैंने पूछा. ‘अरे, अरुण जेटली ने आपकी मांग मान ली?' ‘कहां मानी?' मैं अब भी हैरान था. 'भई आप यही मांग रहे थे न कि किसान को उसकी लागत का ड्योढ़ा दाम मिले? मैंने खुद सुना कि वित्त मंत्री ने घोषणा की और कहा कि...
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शोर ज्यादा, मतलब की बातें कम-- अभिजीत मुखोपाध्याय
जैसी कि उम्मीद थी, केंद्रीय बजट-कम-से-कम बजट भाषण- में खेती और ग्रामीण क्षेत्र पर बहुत ही अधिक फोकस किया गया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागत से डेढ़ गुना करने का फैसला 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने के सरकार के दीर्घकालिक महत्वाकांक्षा के अनुरूप है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने भाषण में कहा है कि नीति आयोग द्वारा तैयार प्रणाली के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य तय...
More »उर्जा वन में नहीं अंकुरित हुए बीज, एक पौधा भी नहीं उगा, लाखों की राशि हुई बेकार
बैतूल। जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों को जलाऊ लकड़ी मुहैया कराए जाने के लिए उर्जावन तैयार करने के नाम पर जिले में सरकारी राशि को पलीता लगाने का मामला सामने आया है। जिले के पश्चिम वन मंडल के अंतर्गत आने वाली 5 रेंजों में वन विभाग ने 28 उर्जावनों में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ तैयार करने के लिए बीज खरीदकर बुवाई की थी लेकिन बमुश्किल आधा दर्जन स्थानों को...
More »बजट 2018: भारत में कृषि सुधार की आखिरी उम्मीद है, सरकार को उठाने होंगे ये कदम
नई दिल्ली. आम बजट 2018 मौजूदा सरकार का आखिरी फुल बजट होगा क्योंकि बहुत हद तक मुमकिन है कि 2019 में चुनाव की वजह से वोट ऑन एकाउंट पेश हो। ऐसे में कृषि सुधार से जुड़े कुछ ऐसे जरूरी मुद्दे हैं जिनपर बजट में ठोस एलान होना चाहिए। यह बहुत अजीब है कि एक तो ओर तो देश में 30 फीसदी कंज्यूमर भूखा है, 50 फीसदी बच्चे कुपोषण...
More »गंभीर होते खेती व रोजगार के सवाल - प्रदीप सिंह
लोकसभा चुनाव अभी सवा साल दूर हैं। इसे यों भी कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में बस 16 महीने रह गए हैं। सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2019 के चुनाव में एक बड़ा फर्क होगा। तब कांग्रेस सत्ता में थी और उससे सवाल पूछे जा रहे थे। आज भाजपा सत्ता में है और उससे जवाब मांगा...
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