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छोटी सी लडकी का बडा सवाल,सरकार ने खडे किये हाथ

लखनउ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनउ की रहने वाली 10 साल की एक लडकी की सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के जानकारी मांगने के लिये दाखिल अर्जी ने सरकार के लिये मुश्किल खडी कर दी है. कक्षा छह की छात्र ऐश्वर्या पाराशर ने गत 13 फरवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय के जनसूचना अधिकारी को भेजी गयी अर्जी में उस आदेश की फोटोप्रति मांगी थी, जिसके आधार पर महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्ज...

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भूमंडलीकरण का शब्दजाल- सुनील

साहित्य में कबीर की उलटबांसियां प्रसिद्ध हैं। गहरे से गहरे दार्शनिक रहस्यों को बताने के लिए कबीर जीवन के कुछ ऐसे विरोधाभासों का सहारा लेते हैं, जिनमें ऊपर से कुछ और दिखाई देता है, किंतु अंदर कुछ और होता है। वैश्वीकरण के साथ ही दुनिया में एक नई शब्दावली आई है, जो कुछ-कुछ उलटबांसियां जैसी ही हैं। जैसे वैश्वीकरण, भूमंडलीकरण, जगतीकरण या जागतिकीकरण को ही लें, जो ग्लोबलाइजेशन के विविध...

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सड़कों पर पलते कल के सपने : हर्ष मंदर

बीसवीं सदी के शुरुआती दशकों में भारत पर राज कर रही औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार ने सबसे पहले यह स्वीकारा था कि अनाथ और निराश्रित बच्चों व किशोरों की देखभाल करना सरकार की कानूनी जिम्मेदारी है। लेकिन भारत को लोकतांत्रिक स्वाधीनता मिलने के छह दशक बीतने के बावजूद इस तरह के बच्चों और किशोरों के हित में अधिक से अधिक यही किया जा सका है कि उन्हें कारागृह जैसी राज्यशासी संस्थाओं में भेज...

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तंगहाली से जूझती स्टार धनुर्धर, धनुष बेची

जमशेदपुर/वार्ता। ऐसे समय में जब राष्ट्रीय टीम में शामिल होते ही भारतीय क्रिकेटर धन कुबेरों की फेहरिस्त में शामिल हो जाते हैं, देश की एक पूर्व स्टार महिला तीरंदाज को ऐसी गरीबी और तंगहाली झेलनी पड़ रही है कि उसे मिट्टी से बने अपने टूटे घर की मरम्मत के लिए कोरियाई कोच से उपहार में मिला चार लाख रूपये का कीमती धनुष तक औने पौने दाम में बेच देना पड़ा। दक्षिण...

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सबसिडी घटाने की फितरत- सी पी चंद्रशेखर

अपने बजट भाषण के जरिये, जो बोर होने की सीमा तक उबाऊ था और जिसमें जताने से ज्यादा छिपाने की कला थी, वित्त मंत्री ने मुद्रास्फीति के और ऊपर जाने का रास्ता खोल दिया है। अप्रत्यक्ष कर बढ़ाकर, जिसका बोझ अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ना है, और सबसिडी को कम कर, जिससे पेट्रो उत्पाद व उर्वरक महंगे होंगे, उन्होंने मूल्यवृद्धि का बोझ सह रहे इस देश को महंगाई की एक और किस्त...

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