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भेंटवार्ता जोन पी मेंशे से- वकार अहमद सईद

नृत्त्वशास्त्र की अध्येता जॉन पी मेंशे से की गई यह भेटवार्ता फ्रंटलाइन से साभार ली गई है।   प्रोफेसर जोन पी मेंशे नृत्तत्वशास्त्र की अध्येता हैं। उन्होंने बरसों तक सिटी यूनिवर्सिटी ऑव न्यूयार्क के ग्रेजुएट सेंटर और इसी यूनिवर्सिटी के लेहमान कॉलेज में अपने विषय का अध्यापन किया है। प्रोफेसर मोंशे सेकेंड चांस फाऊंडेशन नामक एक नॉट फॉर प्राफिट संस्था की अध्यक्ष भी हैं। यह संस्था भारत और संयुक्त राज्य...

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जब शौच से उपजे सोना

जब कोई युवा पढ़ाई- लिखाई करके शहरों की ओर भागने की बजाय अपनी शिक्षा और नई सोच का उपयोग अपने गाँव, ज़मीन, अपने खेतों में करने लगे तो बदलाव की एक नई कहानी लिखने लगता है, ऐसे युवा यदि सरकार और संस्थाओं से सहयोग पा जाएं तो निश्चित ही क्रान्तिकारी परिवर्तन ला देते हैं। ऐसी ही एक कहानी है ‘जब शौच से उपजे सोना’ की और कहानी के नायक हैं युवा किसान श्याम मोहन त्यागी...... आर के...

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बनी रहती है सेब में लाली व चाय में हरियाली

मुजफ्फरपुर  रासायनिक खाद के उपयोग से पीछे  हट रहे किसानों को भले ही जैविक उर्वरक से की गयी खेती रास न आ रही हो,पर मुजफ्फरपुर में निर्मित जैविक खाद से भारत के कई राज्यों के संतरे, चाय व सेब के बागों में हरियाली बनी रहती है.दूसरे राज्यों में खाद की आपूर्तिमिट्टी के लिए हानिरहित होने के कारण केवल चाय, सेब व संतरे की फसलों में ही नहीं, बल्कि औषधीय फ़ार्मो में भी इसका व्यापक पैमाने...

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सेज बनाम बनाम विस्थापन- तमिलनाडु में जन-सुनवाई

तमिलनाडु में १३९ सेज यानी विशेष आर्थिक क्षेत्र अपनी मंजूरी के विभिन्न चरणों में हैं और तमिलनाडु के कई संगठन इन विशेष आर्थिक क्षेत्रों की जरुरत और प्रभावकारिता की जांच के लिए एक जनसुनवाई का आयोजन कर रहे हैं।। जनसुनवाई २४ अक्तूबर से २६ अक्तूबर तक जाने माने अर्थशास्त्रियों, सामाजविज्ञानियों, पत्रकारों और नौकरशाहों की मौजूदगी में होगी। जन-सुनवाई में भागीदारी के लिए नागरिक संगठनों ने मीडियाकर्मियों को सहर्ष आमंत्रित किया...

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पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट

खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...

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