आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं है. वे आरटीआइ कानून के अमल में आने के बाद से ही लगातार इस हथियार के जरिये आम जनता के हित में लड़ाई लड़ते रहे हैं. चाहे मामला न्यायपालिका में फैले का भ्रष्टाचार का हो या फिर राजनीतिक दलों को आरटीआइ के दायरे में लाने का उन्होंने यह मुहिम निरंतर जारी रखी है. इतना ही नहीं वे नौजवान पीढ़ी की ओर आरटीआइ...
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यौन हिंसा की जड़ें- रुचिरा गुप्ता
जनसत्ता 4 सितंबर, 2013 : कुछ दिन पहले जब मैंने मुंबई में एक तेईस वर्षीय फोटो पत्रकार के साथ बलात्कार की घटना के बारे में पढ़ा, तो कुछ पुरानी घटनाएं सामने घूमने लगीं। यानी फिर से वही सब! करीब उनतीस साल की उम्र में छह दिसंबर, 1992 को जब मैं एक रिपोर्टर की हैसियत से उत्तर प्रदेश में बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना की खबर जुटा रही थी तो मुझ...
More »सबकी धरती, सबका हक- प्रियंका दुबे
लापोड़िया और रामगढ़ की कहानी देश में चौतरफा फैले जल संकट का समाधान तो सुझाती ही है, लेकिन उससे भी बढ़कर सामाजिक समानता की नींव पर बने एक प्रगतिशील समाज का सपना भी साकार करती है. रिपोर्ट और फोटो: प्रियंका दुबे ऐसे समय में जब पानी की किल्लत दिल्ली-मुंबई से लेकर जयपुर तक सैकड़ों भारतीय शहरों को सूखे नलों के मकड़जाल और अनंत प्रतीक्षा के रेगिस्तान में तब्दील कर रही है,...
More »सरकार ने किया 'चमत्कार', अब 28 रुपये कमाने वाले गरीब नहीं
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कमरतोड़ महंगाई को थामने में नाकाम रही सरकार ने चुनावी साल में 17 करोड़ गरीब कम करने का चमत्कार कर दिखाया है। ऐसा गरीबों की आमदनी का जरिया बढ़ाकर नहीं बल्कि आमदनी के आंकड़े में हेरफेर कर किया गया है। उनकी आय महज एक रुपये बढ़ाकर एक झटके में 15 फीसद गरीब कम कर दिए गए। पिछले कई सालों से महंगाई भले ही चरम पर हो,...
More »गांवों से ज्यादा शहरों में गरीबों को खाद्य सुरक्षा
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश को लागू करने के लिए खाद्य मंत्रालय को योजना आयोग से मिले आंकड़ों में हरियाणा, दिल्ली, पुडूचेरी, दमन-दीव और चंडीगढ़ में गांवों के मुकाबले शहरों में ज्यादा गरीब लोग रहते हैं। ऐसे में इन राज्यों में अत्यंत सस्ती दरों पर होने वाले आवंटन में लाभार्थियों का प्रतिशत गांव के मुकाबले शहर में ज्यादा होगा। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश के माध्यम से देश की 81.39...
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