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गुजरात: सेप्टिक टैंक में दम घुटने से चार सफाई कर्मचारियों समेत सात की मौत

वडोदरा: गुजरात के दाभोई स्थित दर्शन होटल के बाहर शनिवार को एक सेप्टिक टैंक में दम घुटने से सात लोगों की मौत हो गई, जिसमें तीन होटल कर्मचारी थे. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, होटल के तीन कर्मचारियों की पहचान अजय वसावा (24), विजय चौहान (22) और सहदेव वसावा (22) के रूप में की गई है. वहीं, इस हादसे में अपनी जान गंवाने वाले चार अन्य सफाईकर्मी थे जो दाभोई के थुवानी...

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कारगिल युद्ध में भाग लेने वाले ऑफिसर विदेशी घोषित, परिवार समेत नज़रबंदी शिविर भेजा गया

गुवाहाटीः कारगिल युद्ध में शामिल रहे सेना के पूर्व अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित कर दिया गया है. इसके बाद उन्हें हिरासत में लेकर नज़रबंदी शिविर भेज दिया गया. पुलिस ने यह जानकारी दी है. भारतीय सेना में तकरीबन 30 साल तक सेवाएं दे चुके कामरूप जिले बोको पुलिस थाना क्षेत्र के गांव कोलोहिकाश के निवासी मोहम्मद सनाउल्लाह को इसी जिले में कार्यरत विदेशियों के लिए बने न्यायाधिकरण (फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल)...

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दशकों के हासिल पर ग्रहण-- गौतम भाटिया

एक महिला अपने पुराने संस्थान के शक्तिशाली मुखिया पर उत्पीड़न और शोषण के आरोप लगाती है। आरोप ब्योरेवार हैं, ऑडियो और वीडियो प्रमाण के साथ। संस्थान के प्रमुख अगले ही दिन सुबह अपने दो सहयोगियों के साथ एक विशेष बैठक बुलाते हैं। वह शिकायतकर्ता के चरित्र हनन में लग जाते हैं और इसे संस्थान के विरुद्ध साजिश करार देते हैं। इस कार्य में उन्हें संस्थान के दो बहुत वरिष्ठ अधिकारियों...

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प्रेस की आज़ादी के मामले में भारत दो पायदान फिसला, चुनाव का समय पत्रकारों के लिए बेहद ख़तरनाक

नई दिल्लीः मीडिया की आजादी से संबंधित ‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स' की सालाना रिपोर्ट में प्रेस की आजादी के मामले में भारत दो पायदान खिसक गया है. 180 देशों में भारत 140वें स्थान पर है. गुरुवार को जारी इस रिपोर्ट में भारत में चल रहा चुनाव प्रचार का यह दौर पत्रकारों के लिए खासतौर पर सबसे ख़तरनाक वक्त के तौर पर चिह्नित किया गया है. वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2019 यानी ‘विश्व प्रेस...

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चुनाव चर्चा से नदारद पुलिस सुधार- विभूति नारायण राय

आगामी आम चुनाव को लेकर सभी प्रमुख दलों ने अपने-अपने घोषणापत्र जारी कर दिए हैं और इन सभी में एक समान अनुपस्थिति आपका ध्यान आकर्षित कर सकती है। किसी भी दल ने पुलिस सुधारों पर एक भी पंक्ति लिखने की जरूरत नहीं समझी। पहले की ही तरह इस बार भी किसी को यह जरूरी नहीं लगा कि जिस संस्था से जनता का रोजमर्रा की जिंदगी में सबसे ज्यादा वास्ता पड़ता...

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