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कीटनाशकों पर अंकुश से कम हो सकती हैं किसान-आत्महत्याएं- नई रिपोर्ट

दुनिया में आत्महत्या के हर पांच मामले में एक मामला कीटनाशक के जरिये आत्महत्या करने का होता है और आत्महत्या का यह तरीका निम्न आय-वर्ग में शामिल देशों के ग्रामीण तथा खेतिहर इलाकों में देखने को मिलता है. यह कहना है हाल ही में प्रकाशित पुस्तिका प्रीवेंटिंग स्यूसाइड: ए रिसोर्स फॉर पेस्टिसाइड रजिस्ट्रार्स एंड रेग्युलेटर का.   विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) तथा फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन ऑफ युनाइटेड नेशन्स (एफएओ) द्वारा संयुक्त रुप से प्रकाशित इस...

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वाहन उद्योग: सुस्ती से उबारने के लिए निजी वाहन नहीं, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना जरुरी है

बिक्री के मोर्चे पर सुस्ती झेल रहे वाहन उद्योग को गति देने के लिए बीते 23 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई अहम घोषणाएं की. इसमें सरकारी विभागों पर वाहनों की खरीद के मामले में लगी रोक को हटाना, घोषणा के दिन से मार्च 2020 तक खरीदे गये वाहनों पर 15 फीसद अतिरिक्त मूल्यह्रास की अनुमति देना (15 फीसद का मूल्यह्रास पहले से लागू होने के कारण अब यह 30...

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पानी साफ करने के इंतजाम के अभाव में नदियां हो रहीं दूषित, कई राज्यों की स्थिति चिंताजनक

नई दिल्ली: जलशोधन यानी कि पानी को साफ करने के पर्याप्त इंतजामों के अभाव में देश में न केवल नदियों, तालाबों और जलाशयों का पानी जहर बनता जा रहा है बल्कि खेती में रसायानिक खादों के अत्याधिक इस्तेमाल के कारण भूजल भी दूषित हो रहा है. भूजल दूषित होने के मामले में मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में चिंताजनक स्थिति है. नदियों में दूषित जल के प्रवाह और आर्सेनिक एवं...

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यमुना के बिना दिल्ली का अस्तित्व नहीं बचेगा: एनजीटी अध्यक्ष

नई दिल्ली: यमुना के बिना दिल्ली का अस्तित्व नहीं बचेगा, कहते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों को यमुना नदी के पुनर्जीवन और उसमें प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों पर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. एनजीटी ने राज्य सरकारों द्वारा रिपोर्ट दाखिल करने में असफल रहने की स्थिति में जुर्माना लगाने की भी चेतावनी दी. एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श...

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कहां ले जाएगी जल की अनदेखी -- रामचंद्र गुहा

बहुत साल हो गए, जब मेरा सामना पर्यावरण संबंधी जिम्मेदारी की चौंकानी वाली परिभाषा से हुआ था, ‘हम एक सीमित क्षेत्र के भीतर से जो कुछ भी चाहते हैं, उसका उत्पादन करते हैं, तो हम उत्पादन के तरीकों की निगरानी की स्थिति में होते हैं; जबकि अगर हम पृथ्वी के किसी अन्य छोर से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, तो वहां उत्पादन की स्थितियों की गारंटी देना हमारे लिए...

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