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राजनीतिक सुधार से डर किसको?-- उर्मिलेश

जब कभी संसद में गतिरोध, उलझाव व टकराव देखता हूं, तो बहुत हैरान या चकित नहीं होता. अपनी लोकतांत्रिक चुनौतियों की लगातार अनदेखी करते रहने का यह सब नतीजा है. बीते कई दशकों से हमारे नीति-निर्धारक और पार्टी-व्यवस्था के संचालक अपनी अंदरूनी राजनीतिक चुनौतियों को संबोधित करने से लगातार बचते रहे हैं. भारत ने अाजादी के बाद अपनी लोकतांत्रिक यात्रा की शुरुआत बहुत धीर-गंभीर ढंग से की थी. आजादी की...

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नोटबंदी से सामने आया उच्च और मध्य वर्ग का भ्रष्टाचार

नोटबंदी का परिणाम सही है या गलत, इसका उत्तर आने वाला समय देगा. मगर, अभी जो दिख रहा है कि एक तरफ दो हजार और पांच हजार की निकासी के लिए देशभर में लोग एटीएम और बैंकों की कतारों में घंटों खड़े रहने के लिए मजबूर हैं, वहीं दूसरी तरफ लाखों-करोड़ों की नकदी बैंकों, नेताओं, व्यापारियों एवं अन्य पेशेवरों के पास से पकड़ी जा रही है.    यह स्थिति संस्थागत...

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नोटबंदी का कालेधन पर प्रभाव-- डा. भरत झुनझुनवाला

नोटबंदी का उद्देश्य कालेधन पर प्रहार करना था. सरकार की सोच थी कि 500 तथा 1000 के नोट बंद करने से कालाधन रखनेवालों की तिजोरियों में रखे नोट बरबाद हो जायेंगे. देश कालेधन से मुक्त हो जायेगा. ताजा समाचारों के अनुसार, 15 लाख करोड़ के बड़े नोटों में से 12 लाख करोड़ बैंकों में जमा हो चुके हैं. 31 दिसंबर तक शेष के भी जमा हो जाने की आशा है....

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एक साथ चुनावों की बढ़ती कवायद -- अनुपम त्रिवेदी

आर्थिक सुधारों के साथ मोदी सरकार चुनाव सुधार की दिशा में भी बड़ी तेजी से काम कर रही है. भविष्य में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने को लेकर अनेक गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं और लगातार सरकार इसके संकेत भी दे रही है. संसद के वर्तमान सत्र से पूर्व हुई सर्वदलीय बैठक में भी प्रधानमंत्री मोदी ने एक साथ चुनावों की वकालत करते हुए कहा...

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'क्या नोटबंदी ने एक नए भ्रष्टाचार को जन्म दिया?'--- क़मर वहीद नक़वी

नोटबंदी में देश क़तारबंद है. आज एक महीना हो गया. बैंकों और एटीएम के सामने क़तारें बदस्तूर हैं. जहाँ लाइन न दिखे, समझ लीजिए कि वहाँ नक़दी नहीं है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बस पचास दिन की तकलीफ़ है. तीस दिन तो निकल गए. बीस दिन बाद क्या हालात पहले की तरह सामान्य हो जायेंगे? क्या लाइनें ख़त्म हो जाएंगी? और क्या 30 दिसंबर के बाद जवाब मिल जाएगा...

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