जनसत्ता 01 मार्च, 2014 : आम चुनाव सिर पर हों तो इसे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना ही कहा जाएगा। वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने अंतरिम बजट में जन-कल्याणकारी योजनाओं में 31,812 करोड़ रुपए की कटौती कर यूपीए सरकार के विरोधियों को हमला करने के लिए अतिरिक्त गोला-बारूद मुहैया करा दिया है। कटौती चालू वित्तवर्ष में की गई है जिसका असर ग्रामीण सड़क, सिंचाई, राष्ट्रीय कृषि विकास, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मिड-डे...
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आंकड़ों की बाजीगरी है यह खुशहाली- उपेन्द्र प्रसाद
सरकारी राजकोष का बेहतर रूप दिखाने के लिए आंकड़ों की बाजीगरी की भी सहायता ली गयी है. यह बाजीगरी विफलता को कुछ समय के लिए ही छिपा सकती है. सच कुछ समय के बाद सामने आ ही जाता है. पर चिदंबरम को इसकी चिंता क्यों हो? केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आगामी वित्त वर्ष के पहले चार महीनों का लेखानुदान पेश करते हुए देश की अर्थव्यवस्था और खास कर केंद्र...
More »युवा बेरोजगारी भारत के लिए संकट- रविदत्त वाजपेयी
यह एक सुखद आश्चर्य है कि शताब्दियों का इतिहास संजोये रखने के बाद, आज भी भारत को एक युवा देश माना जाता है. सबसे विस्मयकारी तथ्य यह है कि इस सौभाग्य का श्रेय भारत की उस प्रचुर जनसंख्या को दिया जाता है जिसके विशाल आकार को लंबे समय से भारत की सबसे बड़ी समस्या बताया गया था. आखिरकार भारत की इतनी बड़ी आबादी जनसंख्या आपदा से जनसंख्या संपदा में कैसे...
More »पंद्रह साल में 12 गुना बढ़ी देश के अमीरों की दौलत
वाशिंगटन। भारत के अमीरों की दौलत पिछले 15 साल में 12 गुना बढ़ी है। उनके पास कितनी संपत्ति है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस राशि से देश की गरीबी एक साल में दो बार दूर की जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की मुखिया क्रिस्टीन लगार्ड ने यह बात कही है। उन्होंने भारत सहित दुनियाभर में बढ़ रही आर्थिक असमानता पर चिंता जताते...
More »चुनावी माहौल में हाशिये पर अर्थनीति- अश्विनी महाजन
राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी से भारी शिकस्त के बाद घबराई कांग्रेस ने अपने मुख्यमंत्रियों का एक सम्मेलन बुलाकर महंगाई रोकने की जो बात कही है, वह हास्यास्पद ही है। तथ्य यह है कि पिछले तीन-चार वर्षों से महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। वर्ष 2010 की तुलना में कीमतें अब तक 40 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं। खाने-पीने की चीजों के दाम 48 प्रतिशत बढ़ चुके हैं। एक गरीब परिवार 2010...
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