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भीमा कोरेगांव का प्रतीक-- अनुज लुगुन

दासता से मुक्ति के पूर्वज के रूप में स्पार्टाकस को याद किया जाता है. रोमन साम्राज्य की महानता के नीचे दासों की सिसकियां दबी हुई थी. गौरव, वैभव और विस्तार शासक की चाबुक और दासों की पीठ पर टिकी थी. यह ऐसी नृशंसता थी, जो लोगों को दिखती तो थी, लेकिन उन्हें पीड़ा के बजाय उससे सुख मिलता था. समाज, कानून और उसकी मान्यताएं 'ग्लैडिएटर' की मौत पर उत्सव मनाते थे....

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महाराष्ट्र के संदेश को सुनिए-- शशि शेखर

पिछले दिनों आधे से अधिक महाराष्ट्र को जातीय हिंसा की आग ने जिस तेजी से अपनी चपेट में लिया, उससे आशंकित और आतंकित होना लाजिमी है। इस दौरान उन्माद में अंधे हो रहे लोगों ने पाठशाला से घर लौट रहे मासूमों की बसों तक पर पथराव किया। भय से कंपाते बच्चों को अपने सहपाठियों के यहां शरण लेनी पड़ी। उधर, उनके मां-बाप मुंबई महानगर के मुख्तलिफ हिस्सों में बेबसी जीने...

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सोशल मीडिया की ताकत-- आकार पटेल

हमारे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी एक बौद्धिक व्यक्ति हैं और दुनियाभर में उनका सम्मान है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कुछ लोग दोनों को असफल नेता मानते हैं, या तो इस कारण कि मनमोहन सिंह के पास करिश्मा व व्यक्तिगत शक्ति नहीं है, या फिर इस वजह से कि ओबामा नस्लीय तौर पर एक अल्पसंख्यक समुदाय से...

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दलित दर्द की खतरनाक अनदेखी-- तरुण विजय

किसी भी समाज का सबसे बड़ा अपमान उसके दर्द, उसके इतिहास और उसके संघर्ष को नकारना होता है. कश्मीरी हिंदुओं के साथ यही हुआ. तमाम सेकुलर-जेहादियों ने पुस्तकें लिख डालीं कि कश्मीर घाटी से हिंदू अपने सदियों पुराने घर-बागीचे अपनी मर्जी से छोड़ आये, ताकि मुसलमान बदनाम किये जा सकें. आज महाराष्ट्र में दलितों के असंतोष को न तो हल्के ढंग से लेना चाहिए, न ही इसका सारा श्रेय...

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सरकारी बेरुखी से बदहाल किसान--- संजीव पांडेय

इस साल आलू की अच्छी फसल के बावजूद किसान बहुत परेशान हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब तक के किसान दस पैसे प्रति किलो आलू बेचने के लिए मजबूर हैं। हाल ही में पंजाब में किसानों ने जानवरों को ही आलू खिलाना शुरू कर दिया था। उधर उत्तर प्रदेश में सरकार ने इस बार आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया था। इसके बावजूद आगरा और मथुरा के इलाके में...

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