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50 हजार से अधिक गाँव के मास्टर प्लान बनाने वाला मप्र पहला राज्य

भोपाल । विकेन्द्रीकृत नियोजन की अवधारणा को अमल में लाते हुए प्रदेश के सभी 50 हजार 982 गाँव के मास्टर प्लान बनाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। इस कार्य के लिये मध्यप्रदेश विधानसभा में संकल्प पारित किया गया था। मास्टर प्लान को क्रियान्वित करने के लिये राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी किये हैं। उनसे 2015-16 की जिला योजना तैयार करने को भी कहा गया है।...

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नीतीश का केंद्र पर हमला, खाद्य सुरक्षा का खर्च उठाये केंद्र

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने को लेकर एक बार फिर केंद्र पर हमला बोला है. नीतीश ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अनाज से लदी गाड़ियों के जिीपीएस से निगरानी करने, डोर स्टेप डिलेवरी के लिए 200 करोड़ रुपये के खर्च आदि पैसों की व्यवस्था केंद रसरकार को करनी चाहिये. एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट सभागार...

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कब तक खुले रहेंगे मौत के फाटक? -अनूप कृष्‍ण झींगरन

भारतीय रेलवे विश्व के विशालतम रेलवे तंत्रों में से एक है। इतने विस्तृत तंत्र पर आए दिन रेल दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं। हालांकि आंकड़ों के अनुसार यात्रियों की संख्या, तंत्र के विस्तार तथा रेल यातायात को देखते हुए भारतीय रेल एक अपेक्षाकृत सुरक्षित तंत्र है, जहां पर हताहतों की संख्या की दर 0.01 यात्री प्रति दस लाख किलोमीटर है। परंतु एक भी बड़ी दुर्घटना होने पर दक्षता के सारे...

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बबुआ से बड़ा झुनझुना- विनोद कुमार

जनसत्ता 21 जुलाई, 2014 : आजादी के बाद हमने वयस्क मताधिकार पर आधारित भारतीय गणराज्य की स्थापना की। मूल अवधारणा यह रही कि हम एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जिसके केंद्र में रहेगा देश का नागरिक। विधायिका उसके हित में कानून बनाएगी, कार्यपालिका उन कानूनों के दायरे में नागरिकों को एक विधि-सम्मत सुशासन मुहैया कराएगी, सेना बाह्य दुश्मनों से देश की सुरक्षा की गारंटी करेगी, पुलिस नागरिकों के जान-माल की रक्षा करेगी।...

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प्रवासी श्रमिक : जो लौट के घर ना आए - रमेश नैयर

युद्ध में धंसे इराक से किसी प्रकार दो-एक सौ कामगारों को मुक्त कराके स्वदेश लाया जा सका है। उनके जीवन और मृत्यु के बीच झूलते रहे दिनों के अनुभव व्यथित करते हैं। वे 40 लाख से अधिक उन प्रवासी भारतीयों की ओर भी ध्यान आकृष्ट कराते हैं, जो मध्यपूर्व के देशों में काम कर रहे हैं। उनका वर्तमान आजीविका के जुगाड़ में खप रहा है। भविष्य असुरक्षा भरे अनिश्चय की...

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