अनंगपाल दीक्षित, अंबिकापुर(निप्र)। छत्तीसगढ़ में कटनी-गुमला नेशनल हाइवे क्रमांक 43 पर स्थित सरगुजा जिले का सिलसिला गांव को यहां के मेहनतकश किसानों ने वर्ष भर स्वादिष्ट भुट्टे के लिए प्रसिद्घ कर दिया है। इस मार्ग पर आने-जाने वाले हर वाहन का पहिया सिलसिला में थम जाता हैं हर कोई यहां के किसानों की मेहनत से पैदा किए गए भुट्टे का स्वाद लेने लालायित रहता है। हर रोज इस छोटे से...
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100 वर्षों से लग रहा ऐसा हाट जहां नहीं होता भाव-ताव
डॉ. रमेश राठौर/शिवशंकर रोकड़े, नांद्रा। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के गांव नांद्रा में हर सोमवार को अनूठे तरीके से हाट का आयोजन होता है। सुबह 7 बजे से बाजार सज जाता है। ग्रामीण खरीदारी के लिए पहुंचते हैं और सुबह 10 बजे ही व्यापारी अपना पूरा व्यवसाय कर दुकानें समेट लेते हैं। इस तरह के हाट आयोजन से जहां ग्रामीण भी खरीदारी कर अपने रोजमर्रा के कामकाज में जुट जाते...
More »कब समझेंगे उनके बेघर होने का दर्द- सुभाषिनी सहगल अली
बहुत ही छोटा-सा शब्द है घर। लेकिन शायद इससे ज्यादा महत्व और मायने से भरा शब्द किसी इन्सान के लिए है ही नहीं। इसका होना उसको 'अपना' कहने वाले को पहचान, परिभाषा, संरक्षण- सब कुछ देता है। इसलिए बेघर हो जाने से बड़ी सजा किसी को नहीं दी जा सकती। ऐसा नहीं है कि राहुल की मां अकेले ही बेघर हुई। 15 साल पहले, जनवरी के सर्द दिनों में उनके...
More »जंगल से सीखें कुपोषण का इलाज- प्रताप सोमवंशी
ओडिशा देश के पिछड़े राज्यों में से एक है। इस राज्य के आदिवासी इलाके अकाल, भुखमरी, कुपोषण के विशेषण को अपनी पहचान के साथ ढोते रहते हैं। इन्हीं आदिवासी इलाकों का एक दूसरा सच भी जान लीजिए- लिविंग फार्म की ओर से दो जिलों के छह गांवों की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक यहां खाने-पीने की 121 चीजें पाई जाती हैं। इनमें 30 किस्म के मशरूम, जिसे स्थानीय बोली में...
More »मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनता झारखंड, खुद कर रहा 1.04 लाख टन मछली का उत्पादन
प्रभात खबर,रांची: जल की रानी मछली अब झारखंड के लोगों की जिंदगानी बन रही है. पालने, खाने-खिलाने व बेचने की पसंदीदा चीज. सरकारी आंकड़े के अनुसार राज्य के करीब 60-65 फीसदी लोग मछली या इसके उत्पाद का सेवन करते हैं. मछली का उत्पादन झारखंड में लगातार बढ़ रहा है. यह सरकार व मत्स्य किसानों के मिले-जुले प्रयास का परिणाम है. अभी मछली की घरेलू जरूरत प्रति वर्ष 1.40 लाख टन है,...
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