पिछले दशकों के आंकड़े गवाह हैं कि मदरसों में पढ़ने वाले भारतीय मुसलमान भौतिकशास्त्री, अर्थशास्त्री, चार्टर्ड एकाउंटेंट, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर और यहां तक कि राजनीतिज्ञ भी नहीं बन पाते। मदरसे मुस्लिमों को सार्वजनिक जीवन से बाहर रखने के कारक बन जाते हैं। हां, कुछ मदरसों के छात्र आधुनिक पेशे में प्रवेश पा लेते हैं, लेकिन इसमें मदरसों की भूमिका नहीं है, बल्कि यह उनका व्यक्तिगत सद्प्रयास है। इस बात के भी...
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आर्थिक प्रगति का दूसरा चेहरा- तस्लीमा नसरीन
वर्ष 1993 में बांग्लादेश में मेरे पास गारमेंट्स फैक्टरियों की कुछ लड़कियां आती थीं। वे अपने कामकाज से जुड़ी तमाम शिकायतें करती थीं-जैसे लड़कियों को रुपये-पैसे के मामले में ठगना, उन्हें कम वेतन देना, ऊंचे पदों पर महिलाओं की नियुक्ति न करना, मातृत्व अवकाश न देना, बीमारी में छुट्टी न देना, यौन दुर्व्यवहार करना, ओवरटाइम करने के लिए बाध्य करना, देर रात को फैक्टरी से घर जाने के लिए वाहन...
More »दुनिया में घट रही है गरीबी- सोमिनी सेनगुप्ता
भयावह गरीबी में दुनिया भर में तेज गिरावट तो आई ही है, अब लड़कों के साथ-साथ बहुत-सी लड़कियां भी विश्व के तमाम प्राथमिक स्कूलों में पढ़ रही हैं। वहीं मच्छरदानी लगाने जैसे साधारण-से उपायों से करीब साठ लाख लोगों को मलेरिया से होनेवाली मौत से बचाया गया है। लेकिन करीब एक अरब लोग अब भी खुले में शौच करते हैं, जो कई अन्य लोगों के स्वास्थ्य को भी खतरे में...
More »समझें महिला सशक्तीकरण के सही मायने - क्षमा शर्मा
कुछ दिन पहले एक महिला वकील ने मुंबई में रात को शराब के नशे में गाड़ी सोते हुए लोगों पर चढ़ा दी थी। दो-तीन दिन पहले एक डिजाइनर ने एक चाय के ढाबे में शराब के नशे में ही गाड़ी दे मारी और दो रोज पूर्व गुड़गांव में ऐसा हुआ। कुछ लोग कह सकते हैं कि पुरुष तो सैकड़ों की संख्या में ऐसी दुर्घटनाएं करते हैं। दो-तीन महिलाओं ने ऐसा...
More »पर्यावरण के सरोकारों पर एक किताब की गहरी नजर
अगर पर्यावरण के नुकसान को लेकर आपको चिंता होती है लेकिन साथ में आप इस मसले पर मौजूद अध्ययन सामग्री को बोझिल और नीरस जान पढ़ने से बचते हैं तो फिर आपके लिए एक अच्छी खबर है. हाल ही में जीन कंपेन की तरफ से एक किताब कोपिंग विद् क्लाईमेट चेंज नाम से प्रकाशित हुई है और पर्यावरणविद्, नागरिक संगठन से जुड़े कार्यकर्ता, नौकरशाह तथा शोधकर्ताओं के बीच समान...
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