बैंगलूर (भाषा)। कर्नाटक के नवनियुक्त मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते ही कल पहले ही दिन कांग्रेस के चुनाव वादे को पूरा करते हुये गरीबों, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के लिये 4,409.81 करोड़ रुपये के तोहफे की घोषणा की। सिद्धरामैया ने कल एक बैठक में कहा कि अगले महीने से एक रुपये की दर से हर महीने 30 किलो चावल उपलब्ध कराया जायेगा।...
More »SEARCH RESULT
झूठी, एकतरफा और मनगढ़ंत!-प्रेस काउंसिल बिहार रिपोर्ट ( क्षमा के साथ)
प्रेस काउंसिल बिहार रिपोर्ट क्षमा के साथ भारतीय प्रेस परिषद (प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया) की किसी रिपोर्ट के लिए पहली बार यह विशेषण हमने इस्तेमाल किया कि प्रेस परिषद की बिहार रिपोर्ट झूठी है, एकतरफा है, मनगढ़ंत है या पूर्वग्रह से ग्रसित है. या किसी खास अज्ञात उद्देश्य से बिहार की पत्रकारिता और बिहार को बदनाम करने के लिए यह रिपोर्ट तैयार की गयी है. हम ऐसा निष्कर्ष तथ्यों के आधार पर निकाल...
More »खाद्य सुरक्षा की शर्तें- रविशंकर
जनसत्ता 12 अप्रैल, 2013: हालांकि यूपीए सरकार की मंशा थी कि बजट सत्र में ही खाद्य सुरक्षा विधेयक को संसद से पास करा लिया जाए, पर ऐसा नहीं हो पाया। संसद की कार्यवाही बार-बार स्थगित होने से संशोधित विधेयक अब तक पेश नहीं हो सका है। अब इस विधेयक के बजट सत्र के अंतराल के बाद पेश होने की उम्मीद है। वास्तव में यह विधेयक यूपीए के 2009 के उस...
More »गरीबों के हक का बंदरबांट!
आज पूरा झारखंड, इसके सभी 24 जिले, उग्रवाद की चपेट में है। राज्य के अधिकांश संसाधन और कोष विकास कार्यक्रमों की बजाय उग्रवाद से टक्कर लेने पर खर्च होते हैं। विकास थम गया है। सबसे पिछड़े राज्यों की पंक्ति में खड़ा है झारखंड। यह दशा साल दो साल में नहीं, दशकों से चली आ रही उपेक्षा का नतीजा है। समीक्षा होती है, और सभी मानते हैं कि झारखंड में सरकारी मशीनरी...
More »ताकि मिल सके सस्ती खुराक
नई दिल्ली। जेनरिक दवाएं गरीबों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। खासकर भारत जैसे विकासशील देश में इनकी अहमियत और हो जाती है, जहां गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली की बड़ी हिस्सेदारी है। दो जून की रोटी की जुगाड़ में लगे रहने वाले भारतीय परिवारों के कुल स्वास्थ्य पर खर्च का 72 फीसद केवल दवाओं के मद में जाता है। क्या हैं जेनरिक दवाएं: जब कोई दवा कंपनी किसी...
More »