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खाद्य सुरक्षा बिल- कुछ बुनियादी बातें

संसद के मौजूदा(बजट) सत्र में आखिरकार खाद्य सुरक्षा बिल पर चर्चा होने जा रही है। यह बिल यूपीए सरकार ने साल 2011 में लोकसभा में पेश किया था। आहार और बाल-स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम करने वाले विभिन्न संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं और राज्यों द्वारा प्रस्तुत विविध आलोचनाओं के आलोक में इस बिल में कई और बदलाव किए जाने की संभावना है।यहां प्रस्तुत सामग्री में कोशिश की गई है कि भोजन का अधिकार बिल के बारे में जानकारी क्या-क्यों-कैसे-कौन...

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ग्राम-सभा को कागजी शेर बनाने की कवायद

बात विकास-परियोजनाओं के बारे में निर्णय लेने की आये तो ग्राम-सभा की भूमिका क्या हो ? इसका उत्तर छुपा है संविधान की पांचवीं अनुसूचि, 73 वें संविधान-संशोधन, पेसा-कानून और वनाधिकार कानून में। इन उपायों के जरिए विकास-योजनाओं के संबंध में ग्राम-सभा को विशेष अधिकार दिए गए हैं, वन और पर्यावरण की सुरक्षा भी इन उपायों से सुनिश्चित की गई है।   हाल के महीने में बड़ी चतुराई से इन कानूनों के व्याकरण से कुछ ऐसी छूट लेनी की कोशिश की...

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मनरेगा कर्मियों की केन्द्रीय कर्मचारी घोषित करने की मांग

नयी दिल्ली। केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम... ‘मनरेगा’ के तहत दूरदराज गांवों में प्रशासनिक सहायक के तौर पर काम करने वाले कर्मचारियों ने उन्हें केन्द्रीय कर्मचारी बनाने और समूचे मनरेगा प्रशासन को अलग विभाग घोषित करने की मांग की है। मनरेगा कार्यक्रमों में रोजगार सेवक तथा तकनीकी सहायक, लेखा सहायक, कंप्यूटर आपरेटर और अन्य कार्यक्रम अधिकारी के तौर पर काम करने वाले मनरेगा कर्मचारियों के...

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आज हो सकता है भूमि अधिग्रहण बिल पर विचार

नई दिल्ली: केंद्रीय मत्रिमंडल अपनी बैठक में बहुप्रतीक्षित भूमि अधिग्रहण विधेयक पर गुरूवार को विचार कर सकता है. केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि विधेयक में उपयोग में नहीं लायी गयी जमीन की वापसी का प्रावधान है. भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 में इस तरह की जमीन की वापसी का कोई प्रावधान नहीं था. उन्होंने संसद में बताया कि नए विधेयक के खंड 95 में यह प्रावधान है कि...

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पत्रकारों के लिए इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2012-13- आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ायी गई

  (आवेदन की अंतिम तिथि- 31 दिसंबर, सोमवार, 2012) विकासशील समाज अध्ययन पीठ( सीएसडीएस) की एक परियोजना इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज की तरफ से इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2012-13 के लिए पत्रकारों से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में आवेदन आमंत्रित हैं। फैलोशिप का उद्देश्य ग्रामीण-विकास पर ध्यान खींचना है, खासकर सशक्तीकरण, विकेंद्रीकरण, कन्वर्जेंस तथा पंचायतों और स्थानीय निकायों द्वारा मौजूदा स्कीमों के बेहतर इस्तेमाल के जरिए होने वाले ग्रामीण विकास पर। इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज ग्रामीण भारत से संबंधित सूचनाओं, विचारों...

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