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गांधी का स्वराज और युवाओं की उम्मीदें- रामचंद्र राही

आज जब हम स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहे हैं, तो स्वाभाविक है कि एक लोकतांत्रिक देश के सजग नागरिक होने के नाते हम यह पड़ताल करें कि देश की आजादी के महानायकों ने हमारे लिए जो स्वप्न देखे थे, वे कितने पूरे हुए। और यदि पूरे नहीं हुए हैं, तो आखिर हमसे गलतियां कहां हुई हैं? ऐसे में हमें सहज ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ध्यान आता है, जिन्होंने आजादी...

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हवाओं के रुख को बताता मोदी का भाषण - के. बेनेडिक्‍ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस बार का स्वतंत्रता दिवस का भाषण यूं तो हमेशा की तरह उनकी वक्तृत्व शैली और श्रोताओं से जुड़ने की उनकी क्षमता की ही एक और बानगी था, लेकिन इस बार का भाषण उनके कई समर्थकों को शायद इसलिए निराशाजनक लगा हो, क्योंकि उसमें पर्याप्त सामग्री नहीं थी। कइयों को उसमें महत्वपूर्ण बातों के बजाय दोहराव और पीआर संबंधी कवायद अधिक लगी। अलबत्ता उन्होंने इस अवसर...

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कितना कारगर होगा नगा समझौता- दिनकर कुमार

नगा विद्रोही संगठन नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल आॅफ नगालिम (एनएससीएन) के इसाक-मुइवा गुट के साथ शांति प्रक्रिया आखिरकार अंतिम चरण में पहुंच गई है और उम्मीद की जा रही है कि कुछ ही महीने में समझौते के सारे प्रावधानों को सार्वजानिक तौर पर उजागर कर दिया जाएगा। नगा शांति प्रक्रिया की तरह पूर्वोत्तर के किसी उग्रवादी संगठन के साथ बातचीत की इतनी लंबी प्रक्रिया नहीं चली, न ही इतने सारे विवाद और...

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विकास के कोलाहल में- अरविन्द कुमार सेन

देश में सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना (एसइसीसी) के अलग-अलग पहलुओं पर बहस चल रही है। कुछ जानकार इस तथ्य की तरफ इशारा कर रहे हैं कि इस जनगणना ने भारतीय अर्थव्यवस्था के कई स्याह हिस्सों पर रोशनी डाली है। विकास के कोलाहल में स्याह हिस्सों को कोई भी सरकार नहीं देखना चाहती। चाहे वह कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार रही हो, जिसने इस जनगणना के आंकड़ों को जानबूझ कर...

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किताबें तो अब भी काम की हैं- चंद्रशेखर तिवारी

ज्ञान को सर्वसुलभ बनाने में पुस्तकालय से बेहतर दूसरा विकल्प शायद ही हो सकता है। इसी बात को ध्यान में रखकर वर्ष 2005 में गठित भारतीय ज्ञान आयोग की पहल पर देश में एक स्वायत्त राष्ट्रीय पुस्तकालय आयोग की स्थापना की गई। इस आयोग की देखरेख में पुस्तकालयों के विकास, संरक्षण व संवर्धन की दिशा में कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में देश में सार्वजनिक पुस्तकालयों के चार स्तर...

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