नोटबंदी के बाद जनधन खाता काफी चर्चा में आया है। जो आंकड़े आए हैं, वे चकराने वाले हैं। नौ नवंबर तक इन खातों में जमाराशि थी- 45 हजार, 627 करोड, जो 30 नवंबर को 74 हजार, 322 करोड़ हो गई। जिस खाते में एक पैसा नहीं था या चंद रुपये थे, ऐसे अनेक खातों में 49 हजार रुपये जमा हो गए। 50 हजार या उससे ऊपर जमा करने पर पैन...
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मोदीजी की सुनें या अर्थशास्त्रियों की -- रविभूषण
विगत ढाई वर्ष में मोदी सरकार ने प्रचार पर 11 अरब से अधिक रुपये खर्च किये हैं. नोटबंदी के द्वारा भ्रष्टाचार और कालेधन की समाप्ति की जो बात की जा रही है, कैशलेस समाज और भारत बनाने पर जिस तरह बल दिया जा रहा है, उस पर स्थिरचित्त से विचार करना ज्यादा जरूरी है, क्योंकि मोदी का कोई कार्यक्रम अकेला नहीं होता. एक स्ट्रोक से कई निशाने लगाने की ऐसी...
More »नमी का बहाना बना कर धान नहीं खरीद रही राज्य सरकार
पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य सरकार नमी का बहाना बनाकर धान की खरीद नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि चुनावी वर्ष 2015 में किसानों को प्रति क्विंटल तीन सौ रुपये बोनस दिया गया गया था. इस साल राज्य सरकार अब तक बोनस देने की घोषणा नहीं की है. वहीं झारखंड सरकार ने प्रति क्विंटल 130 रुपये बोनस देने की घोषणा की...
More »मुद्रा परिवर्तन के बाद--- अनुपम त्रिवेदी
विगत 8-9 नवंबर की रात कालेधन पर की गयी प्रधानमंत्री की सर्जिकल स्ट्राइक को 15 दिन पूरे हो गये हैं. आधा देश अभी भी लाइन में लगा है और बाकी आधा इस माथा-पच्ची में कि अब आगे क्या होगा? मोदी सरकार के इस दूरगामी और साहसी कदम के संभावित परिणामों पर कयासों का दौर चल रहा है. प्रधानमंत्री खुद रायशुमारी करा रहे हैं. बड़ा प्रश्न है कि क्या अर्थव्यवस्था पटरी...
More »शीर्ष संस्थाओं में उचित नहीं टकराव - अरविंद मोहन
देश इस समय नोटबंदी के फैसले से उपजी नकदी की अपर्याप्त उपलब्धता की समस्या से जूझ रहा है और शासन के दो अंग- कार्यपालिका तथा न्यायपालिका अपने अहं की लड़ाई में लगे हैं। इसका एक दौर तो दीपावली के आसपास हुआ था, पर एक दौर अभी-अभी बीता है। हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली के तहत दरअसल जिन नामों को जज बनाने की सिफारिश की गई...
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