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जरूरी विमर्श के दायरे में 'दलित' - बद्री नारायण

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हाल में एक एडवाइजरी जारी कर मीडिया व संबंधित संस्थानों से आग्रह किया कि वे दलित सामाजिक समूहों तथा जातियों के लिए दलित के स्थान पर अनुसूचित जाति या एससी शब्द का उपयोग करें। इससे मीडिया, राजनीतिक विश्लेषकों, अकादमिक वर्ग और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच एक विमर्श छिड़ गया। उनकी ओर से यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि इससे क्या हासिल...

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असम के आंगनवाड़ी केंद्रों में 14 लाख फर्जी बच्चे : मेनका गांधी

असम में आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के 14 लाख फर्जी नाम पाए गए हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। असम सरकार ने जून में एक अभियान चलाया था जिसके तहत आंगनवाड़ी केंद्रों में मौजूद बच्चों की संख्या का भौतिक सत्यापन किया गया। जब उसका पंजीकृत बच्चों की संख्या से मिलान किया गया तो करीब 14 लाख बच्चे कम मिले। मंत्री ने कहा...

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झारखंड का जनजातीय समाज -- जेबी तुबिद

झारखंड का जनजातीय समाज एक स्वाभिमानी समाज है. पीढ़ियों से समाज ने अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़कर अपनी पहचान को अक्षुण्ण रखा है. प्रकृति ने उन्हें लड़ने की क्षमता दी है. साथ ही प्रकृति के साथ सामंजस्य कर जीवन बसर करने के अलौकिक गुण भी दिये हैं. सांस्कृतिक दृष्टि से समाज काफी धनी है. जनजातीय समाज अपनी दुनिया में जीता है एवं दूसरे समाज को अपने में समाविष्ट...

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न्याय की प्रतीक्षा में आदिवासी!- सी आर मांझी

भारतीय संविधान के आधार पर आदिवासियों की पहचान को अनुसूचित जनजातियों के नाम से जाना जाता है. परंतु यह सर्वज्ञात है कि भारत की आजादी के पूर्व और आजादी के बाद भी व्यावहारिक दृष्टिकोण से आदिवासी समुदाय में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया है. यह समाज अपने स्तर से अपनी असली आदिवासी की पहचान एवं परिचय को संजोकर आदिम परंपरागत निष्ठा, निश्छलता, आदर्श एवं धार्मिक आस्था को बनाये रखा...

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क्रांति जिससे आजादी की राह निकली-- मृदुला मुखर्जी

‘भारत छोड़ो' (क्विट इंडिया) के नारे के साथ 1942 में ‘अगस्त क्रांति' की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन में हर तबके के लोगों ने हिस्सा लिया। किसानों, महिलाओं, छात्रों, नौजवानों के साथ-साथ विभिन्न विचारधारा के लोगों ने इसमें शिरकत की और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। वह दूसरे विश्व युद्ध का समय था और लोगों के लिए कठिन माहौल था। ब्रिटिश सरकार ने तमाम तरह के सख्त कानून थोप दिए थे...

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