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राज्य के पास दूध, अंडा, मांस व ऊन उत्पादन का ब्योरा नहीं

पटना : राज्य में एक साल से मांस, अंडा, दूध और ऊन के उत्पादन में विकास या कमी का कोई ब्योरा नहीं है. देश के स्तर पर सभी राज्यों को तीन माह में एक बार प्रति व्यक्ति मांस, अंडा, दूध और ऊन का उत्पादन ओर खपत का ब्योरा केंद्र सरकार को देना होता है. इस ब्योरा के आधार पर राज्य सरकार भी पशुधन के विकास की योजना तैयार करती...

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कहां बैठेगी पंचायत, कहां पर लगेगी ग्राम कचहरी

पटना : राज्य में पंचायत चुनाव के बाद गांव की सरकारों का गठन होनेवाला है. 30 जून के बाद ग्रामसभा और पंचायतों की बैठकें कहां होंगी. ग्रामसभा कहां बुलायी जायेगी. कचहरी किस स्थान पर लगेगी. राज्य में 8391 ग्राम पंचायत व ग्राम कचहरी अब प्रभावी हो जायेंगी. अब तक 10% पंचायतों के पास भी पंचायत सरकार भवन नहीं हैं. राज्य सरकार ने 2012-13 से पंचायत सरकार भवनों के निर्माण की...

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विरोध करने वाले गैर-सरकारी संगठनों को निशाना बना रही है मोदी सरकार : मायावती

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी मुखिया मायावती ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ का पक्ष लेते हुए कहा कि केंद्र की गलत नीतियों के खिलाफ संघर्ष करने वाले संगठनों को भी निशाना बनाया जा रहा है.मायावती ने उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों, विधायकों और चुनाव के लिये घोषित उम्मीदवारों की बैठक में कहा कि रोहित वेमुला आत्महत्या मामले और इशरत जहां मुठभेड़ मामले में...

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जीवन चलने का नाम : उदयपुर के प्रवासी मजदूरों की बदलती दुनिया

" यह सड़क कहां जाती है ? "सड़क कहीं नहीं जाती, इस पर आने-जाने वाले लोग जाते हैं." विजयदान देथा की एक कहानी में चतुर बुढ़िया ने अपनी हाजिरजवाबी से राजा और मंत्री को छकाने के लिए कहा था. पता नहीं उदयपुर जिले के जनजातीय इलाके गोगुन्दा, कोटड़ा और सलुम्बर में चतुर बुढ़िया की यह लोककथा प्रचलित है या नहीं लेकिन यहां के राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर बुढ़िया की बात फिट बैठती है. लाने-जाने के...

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सुलगता सवाल : क्या मॉनसून की बारिश सूखे की भरपायी कर पायेगी ? सूखते जलागार, घटता जलस्तर, पेयजल और सिंचाई के संकट पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ, नये शोध और आधिकारिक दस्तावेज...जानने के लिए यहां क्लिक करें.

लगातार दो सालों (2014-15 और 2015-16) में सामान्य से क्रमशः 12 और 14 फीसदी कम बारिश के कारण सूखे की मार झेल चुका देश इस साल मानसून से पहले भयावह गर्मी की चपेट में है. चैत के दिन जेठ के दुपहरिया की तरह तपे और देश के कई इलाकों में अप्रैल महीने में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से लेकर 46 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा जो कि सामान्य से...

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