केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने मंगलवार को कहा कि ‘आधार' जोड़ने के नाम पर वरिष्ठ नागरिकों को पेशन में भुगतान में देरी नहीं होनी चाहिए। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने यह व्यवस्था अहमदनगर निवासी निर्मला निशिकांत धुमाने की याचिका पर दी। धुमाने जानना चाहती थीं कि डाक विभाग ने मार्च 2017 से उसकी पेंशन आधार कार्ड की प्रति मांगते हुए क्यों रोक रखी है। एक अन्य आवेदन में उन्होंने उन...
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मजदूरों के संघर्ष ने बोए उम्मीद के बीज-- बाबा मायाराम
पिछले कुछ समय से भ्रष्टाचार के छोटे-बड़े कई घोटाले सामने आए हैं। यह एक बड़ी बीमारी की तरह फैल गया है। वैसे तो हर तरह का भ्रष्टाचार समाज व देश के लिए नुकसानदेह है पर गरीबों पर इसका हमला उनसे रोजी-रोटी छीन लेता है। व्यक्तिगत रूप से वे इस भ्रष्टाचार को रोकने में असहाय महसूस करते थे पर सामूहिक रूप से उसे रोकने में कामयाब हो गए। इसका अच्छा...
More »झूठी खबरें तो रोकनी ही होंगी-- नवीन जोशी
टीवी के पर्दे पर किसी क्रीम से चुटकियों में कमर दर्द या मुहांसे गायब होते हम रोज देखते हैं. हम जानते हैं कि ऐसा वास्तव में नहीं होता. यह मिथ्या या कह लीजिये अतिरंजित प्रचार है, विज्ञापन है. लेकिन समाचारों पर हम भरोसा करते हैं. अगर समाचार असत्य हो, मुनाफे के वास्ते या किसी की लोकप्रिय छवि बनाने अथवा बिगाड़ने के लिए मिथ्या प्रचार को समाचार का रूप दिया जाये...
More »कबाड़ के बाजार में हमारी निजता-- हरजिंदर
फेसबुक, ट्विटर या किसी अन्य सोशल मीडिया साइट पर आपने क्या डाला? अपनी जन्मतिथि, अपनी उम्र, शादी की तारीख, अपने शहर का मौसम, सहपाठियों की तस्वीरें, सहकर्मियों की पार्टी, भूली जा चुकी यात्राओं का विवरण, बेवजह की बहस, तू-तू और मैं-मैं, कविताएं, चुटकुले, नसीहतें, चचेरे भाई की वरमाल का वीडियो, दोस्त की शादी का भांगड़ा, ढेर सारी बधाइयां, शुभकामनाएं, दुआएं और श्रद्धांजलि...। सूची अंतहीन हो सकती है, पर ये आपके...
More »आंकड़ों की हवस के मायने-- डा. गोपाल कृष्ण
गार्जियन और न्यूयॉर्क टाइम्स के मार्च 17 के फेसबुक घोटाले के खुलासे के बाद अमेरिकी कंपनी फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग को पिछले दो दिनों में 58,500 करोड़ रुपये के नुकसान, ब्रिटिश कंपनी स्ट्रेटेजिक कम्यूनिकेशन लेबोरेटरीज की इकाई कैंब्रिज एनालिटिका की मानवीय आकड़ों की हवस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के प्राध्यापक एलेक्जेंडर कोगन की अनैतिकता की पराकाष्ठा और चुनावी लोकतंत्र में किसी भी हद तक जाकर सफलता पाने की लालसा...
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