अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक, आधिकारिक एजेंसियों और निजी संस्थाओं द्वारा जारी की गईं अधिकांश रिपोर्टें और अध्ययन कोरोनवायरस महामारी से अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़ने वाले प्रलयकारी प्रभावों की तरफ इशारा करते हैं. उनका अनुमान है कि दुनिया भर के विभिन्न देशों द्वारा COVID -19 (यानी सोशल डिस्टेंसिंग और क्वॉरंटीन) को कम करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित आर्थिक विकास को प्रभावित करेंगे और अधिकांश क्षेत्रों में...
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कोविड-19: महज एक तिहाई प्रवासी मजदूरों को ही मिल रहा राहत घोषणाओं का फायदा
-डाउन टू अर्थ, इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (आईएचडी) के आकलन के मुताबिक, कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर जो राहत उपाय किए गए हैं, उसका लाभ देश के प्रवासी कामगारों के महज एक तिहाई हिस्से तक ही पहुंच पाया है। आईएचडी के आकलन के अनुसार अल्पकाल के लिए काम की तलाश में बार-बार आने-जाने वाले करीब 5 करोड़ प्रवासी सरकार की लाभुकों की शिनाख्त प्रक्रिया से बाहर हैं। इंस्टीट्यूट ने ये अनुमानित आंकड़े 2...
More »पंजाब से 91 लाख टन पर पहुंची गेहूं की सरकारी खरीद, हरियाणा में 42 लाख टन के पार
-आउटलुक, चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में पंजाब और हरियाणा से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद जोरों से चल रही है। पंजाब से खरीद बढ़कर जहां 91.44 लाख टन की हो गई है, वहीं हरियाणा से भी 42.80 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा जा चुका है। अन्य राज्यों में मध्य प्रदेश से खरीद बढ़ी है, लेकिन उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि से खरीद सीमित मात्रा में ही...
More »लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों के सामने खाने का संकट, मानवाधिकार संगठनों ने मांगा सबके लिए मुफ्त राशन
-गांव कनेक्शन, "हम अगले 20 दिन क्या, 50 दिन भी यहीं रूक जाएं, लेकिन हमें खाने के लिए राशन-पानी तो मिले," लॉकडाउन बढ़ने के सवाल पर हेमंत पोद्दार कहते हैं। हेमंत (30 वर्ष) बिहार के कटिहार जिले के निवासी हैं और मुंबई के बांद्रा इलाके में रहकर निर्माण मजदूर का काम करते हैं। उनके साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के लगभग 600 मजदूर उनके इलाके में रहते हैं, जिसका...
More »फेक न्यूज़, कोरोना महामारी, मुसलमान और सूचना की राजनीति
-न्यूजलॉन्ड्री, सरकार और फेक न्यूज़ यह बड़ा विरोधाभासी लगता है कि हम कोरोना महामारी का इलाज बड़ी गंभीरता से खोज रहे हैं. जिसका इलाज भरसक कोशिशों के बावजूद अब तक संभव नहीं हुआ है. लेकिन ‘फेक न्यूज़’ से उत्पन्न हो रहे निरंतर खतरों को खतरा या बीमारी मानने को तैयार नही हैं, जबकि इसका इलाज हमारे नियंत्रण में है. इसमें एक तर्क हो सकता है कि अभी हमारी सरकार को ‘फेक न्यूज़’ से...
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