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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें

जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...

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सीआईआई बनाएगा कृषि को मुनाफे वाला

अगले कुछ बरसों के भीतर राज्य में कृषि उत्पादन को दोगुना करने के उत्तर प्रदेश सरकार के लक्ष्य से प्रेरणा लेते हुए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने प्रदेश में वृहद आयोजनों की योजना बनाई है, जो कि किसान और कृषि अर्थव्यवस्था पर आधारित होंगे। इसके तहत सीआईआई प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दो कृषि संबंधी सम्मेलन का आयोजन राज्य सरकार के सहयोग से करेगी। सम्मेलन में इस बात पर मंथन किया जाएगा कि किस तरह कृषि...

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था कैसे संभली रही?- पाणिनी आनंद

ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ने भी भारत को आर्थिक संकट के दौर में स्थिर रखने में मदद दी वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में भारत के ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बारे में जानी मानी अर्थशास्त्री जयति घोष कहती हैं कि जहां संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन सरकार की पहली पारी गंभीर और सकारात्मक रही, वहीं दूसरी पारी में सरकार कम गंभीर नज़र आ रही है. उनका मानना है कि सरकार की कुछ तैयारियों और बदलावों के...

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किसानों की जगह मालामाल हो रहे केंद्र प्रभारी व साहूकार

रायबरेली। पतले गेहूं के नाम पर किसानों को ठगा जा रहा है और मालामाल हो रहे गेहूं केंद्र के प्रभारी एवं साहूकार। सेंटरों से किसानों का गेहूं वापस हो रहा, वहीं साहूकारों का गेहूं खुलेआम लिया जा रहा है। यही नहीं पतले के नाम पर किसानों से पचास से लेकर सत्तर रुपये तक प्रति क्विंटल वसूले जा रहे है। न देने पर उन्हें सेंटरों से वापस किया जा रहा है। हाल यह तब है जब...

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पड़ सकते हैं रोटी के लाले

इलाहाबाद : इस बार अन्नदाताओं पर दोहरी मार पड़ रही है। गर्मी के चलते गेहूं की पैदावार मनमाफिक नहीं हुई, उस पर दाने भी पतले हैं। जिन्हें खरीदने के लिये सरकार तैयार नहीं। कृषि विभाग के अफसर भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि जनपद में खोले गए 54 गेहूं क्रय केन्द्रों पर सन्नाटा क्यों पसरा है। अगर यही हाल रहा तो आम लोगों को आने वाले दिनों में रोटी के लाले पड़े सकते...

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