भारतीय किसान की तस्वीर आज भी कमोबेश कक्षा आठ में लिखे जाने वाले उस निबंध से बाहर नहीं निकल पाई है, जहां हम पहली लाइन में तो यह लिखते थे कि किसान देश का पेट पालते हैं, लेकिन आखिरी लाइन यही रहती थी कि किसान किसानी से इतना कमा नहीं पाते कि वे अपना पेट पाल सकें। भारतीय किसान की यह तस्वीर बदलती क्यों नहीं है? जीवन के हर हर क्षेत्रों में...
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नारंगी की खेती अब सूबे में भी
भागलपुर : अब वह दिन दूर नहीं जब जिले के किसान नागपुर के किसानों की तरह ही नारंगी की खेती करेंगे. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के उद्यान-फल विभाग के वैज्ञानिक नारंगी के पौधों पर पिछले आठ माह से शोध कर रहे हैं. फिलहाल नागपुर से 156 पौधे लाकर लगाये गये हैं. तीन साल बाद विवि द्वारा किसानों को नारंगी का पौधा उपलब्ध करा दिया जायेगा. यहां का भी मौसम नारंगी की...
More »वाटरशेड प्रोग्राम ने बदली गांवों की तस्वीर
उन्होंने जिला सोलन के कंडाघाट ब्लाक की चार पंचायतों महोग,साजा,नगाली, और कनौड़ी के तीस गांवों में वाटरशेड डवलपमेंट प्रोग्राम के तहत हुए कार्य पर शोध किया। वर्मा ने अपने शोध में कहा है कि ये गांव सिंचाई के लिए अब बारिश के पानी पर निर्भर नहीं है। सिंचाई का इंतजाम होने से खेती की पैदावार में कई गुणा बढ़ोतरी हुई है और किसानों की आर्थिकी में इजाफा हुआ है। यही...
More »कौन ठगवा जमीनिया लूटे हो...
जैसा कि एक प्रसिद्ध रिपोर्ट एवरी थर्टी मिनटस्- फार्मर्स स्यूसाईडस्, ह्यूमन राईटस् एंड द एग्रीगेरियन क्राईसिस इन इंडिया के शीर्षक से जाहिर है- भारत में खेतिहर-संकट के कारण हर तीसवें मिनट पर एक किसान आत्महत्या को मजबूर है। उड़ीसा में बोलंगीर जिले के पटनागढ़ प्रखंड के गांव घूमर में गुजरे सितंबर महीने में एक किसान लिंगराज साहू की मौत हुई। क्या लिंगराज साहू की मौत को कोई रिपोर्ट आत्महत्या की श्रेणी में गिन सकती है? लिंगराज साहू...
More »‘विकास होता तो आत्महत्या नहीं करते किसान’
हिसार. मंडी आदमपुर. आरएसएस के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने कहा कि सरकार के विकास के सभी दावे खोखले हैं। यदि सही मायने में देश में विकास होता तो किसान आत्महत्या नहीं करते। आजादी के 60 साल बाद देश में भुखमरी नहीं होती। वे बुधवार शाम गांव काबरेल में श्रीकृष्ण गौशाला, गौ संवर्धन एवं अनुसंधान केंद्र के शिलान्यास के मौके पर लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसान आज...
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