नगा विद्रोही संगठन नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल आॅफ नगालिम (एनएससीएन) के इसाक-मुइवा गुट के साथ शांति प्रक्रिया आखिरकार अंतिम चरण में पहुंच गई है और उम्मीद की जा रही है कि कुछ ही महीने में समझौते के सारे प्रावधानों को सार्वजानिक तौर पर उजागर कर दिया जाएगा। नगा शांति प्रक्रिया की तरह पूर्वोत्तर के किसी उग्रवादी संगठन के साथ बातचीत की इतनी लंबी प्रक्रिया नहीं चली, न ही इतने सारे विवाद और...
More »SEARCH RESULT
पूर्वोत्तर में संभावना- चंदन कुमार शर्मा
नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) यानी एनएससीएन (आईएम) और केंद्र सरकार ने विगत तीन अगस्त को एक संधि पर हस्ताक्षर करके देश के सबसे पुराने उग्रवादी आंदोलन की समाप्ति को लेकर ताजा संभावनाएं पैदा की हैं। यह संधि असल में, आगामी समझौते की एक रूपरेखा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह समझौता आगामी तीन महीने में हो जाएगा। नगा संगठन पिछले कई दशकों से अपने लिए एक स्वतंत्र देश...
More »अचानक आई बाढ से लेह में चार गांव बहे
श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के लेह जिले में भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ से कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए. पुलिस के एक अधिकारी ने आज यहां बताया कि भारी बारिश के कारण बीती रात को आई अचानक बाढ से लेह जिले के चार गांव प्रभावित हुए हैं. उन्होंने बताया कि प्रभावित गांवों में लेह पुलिस थाना अंतर्गत आने वाले वनीला, शक्ति, छुचुट और बासिगो शामिल हैं. अधिकारी ने बताया...
More »बारिश से 4 राज्यों में तबाहीः 110 की मौत, बंगाल सबसे ज्यादा प्रभावित
नई दिल्ली. बारिश के बाद बाढ़ जैसे हालातों के कारण देश के कई राज्यों में तबाही मच गई है। बंगाल और ओडिशा बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। शनिवार को बारिश के बाद कोलकाता के अधिकांश हिस्से पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। सड़कों पर पानी भर गया है। कोलकाता और सियालदह स्टेशनों में भी पानी भर गया है जिसके कारण ट्रेनों की सर्विस ठप पड़ गई है। वहीं,...
More »भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार: वास्तविक तस्वीर-- अरुण जेटली
सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनरुद्धार संशोधन कानून, 2013 में उचित मुआवजे के अधिकार और पारदर्शिता के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया। आखिरकार इस कानून में संशोधन की क्या जरूरत पड़ी और इन संशोधनों के क्या मायने हैं? इस बात का बार-बार उल्लेख होता रहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 पुराना पड़ चुका है और इसमें संशोधन की जरूरत है। 1894...
More »