देहरादून। ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड की विद्युत वितरण प्रणाली में जन-सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। कारण यह है कि राज्य गठन के 10 साल बाद भी प्रदेश की विद्युत वितरण प्रणाली को अभी तक विद्युत सुरक्षा के निर्धारित मानकों पर पूरी तरह परखा नहीं जा सका है। जाहिर है, विद्युत सुरक्षा के प्रति उत्तराखंड पावर कारपोरेशन की यह लापरवाही न सिर्फ उसके अपने कर्मियों बल्कि आम जनता के लिए भी खतरे का सबब बनी हुई हैं।...
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विवाद के बीज- एक विधेयक बहुराष्ट्रीय निगमों के पक्ष में?
सरकार जिस बीज विधेयक को पारित करने के फिराक में है उसके बारे में सबसे मौजूं सवाल यह है कि क्या इससे किसानों की जीविका का कोई हित सध पाएगा या फिर इस विधेयक के पारित होते ही बीजों के बाजार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए सरपट दौड़ लगाने का रास्ता खुल जाएगा और किसानों के हितों की अनदेखी होगी। नये बिल की मंशा बीजों के बाजार का नियमन करना...
More »हरी वादियों का चितेरा
अस्सी के दशक की शुरुआत से ही एक अकेले व्यक्ति के शांत प्रयासों ने ऐसे ग्रामीण आंदोलन की नींव रखी जिसने उत्तराखंड की बंजर पहाड़ियों को फिर से हराभरा कर दिया। सच्चिदानंद भारती की असाधारण उपलब्धियों को सामने लाने का प्रयास किया संजय दुबे ने। (तहलका-हिन्दी से साभार) शायद ही कुछ ऐसा हो जो संच्चिदानंद भारती को उफरें खाल के बाकी ग्रामीणों से अलग करता हो। ये तो जब वो...
More »जाकर मइया पुआ पकावे, ताकर धिया उपास
रांची। यदि आप जलावन के रूप में कोयले का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए। चोरी के आरोप में पकड़े भी जा सकते हैं। हालांकि कोयले के इस झारखंड देस में लाखों लोग घरेलू उपयोग में रोजाना कोयले का इस्तेमाल करते हैं लेकिन यह दीगर बात है कि उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। यह वह राज्य है, जिसके पास 691 एमटी कोयला रिजर्व है। देश भर में 2,111 एमटी कोयला रिजर्व के...
More »अपने हिस्से की छत की खाक छान रहे गरीब
पटना। धरती के कलेजे से लिपटकर रोज ही अपने घर का रोना रोने वाले शहरी गरीबों के लिए उनके हिस्से की छत का मयस्सर होना अब तक मुश्किल ही है। तीखी धूप में जलता बदन और हाड़ कंपाती ठंड में 'काठ' होते चेहरे की उम्मीद पर निर्माण एजेंसी की कच्छप गति ने पानी फेर दिया है। सूबे में शहरी गरीबों को घर देने की घोषणा सरकार ने कई मौकों पर की है। ऐसी 32 हजार...
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