जो व्यक्ति बड़ी-बड़ी विदेशी कारों में चलता हो, फिल्में बनाता हो, उनमें हीरो की भूमिका भी खुद ही निभाता हो, खुद को बाबा कम रॉक स्टार अधिक मानता हो, जिस पर रेप का आरोप सिद्ध हो गया हो, जिसकी जीवनशैली राजा महाराज की तरह हो, जिसमें आध्यात्मिक गुरू का कोई तत्व न हो, ऐसा व्यक्ति क्या बाबा कहलाने लायक है? रेप के आरोप में राम रहीम को दोषी करार...
More »SEARCH RESULT
अंधविश्वास विरोधी कानून-- सुभाष गताडे
झारखंड पिछले दिनों दो घटनाओं के चलते देश भर में सूर्खियों में रहा. पहली घटना में जहां चोटीकटवा होने के आरोप में एक गरीब महिला की लोगों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी, तो दूसरी घटना में दुमका की एक महिला ने अपनी संतान को कुएं में फेंक दिया और अपनी चोटी खुद काट ली. ऐसी घटनाओं के लिए इन दिनों कोई राज्य, कोई इलाका अपवाद नहीं हैं. मामला महज...
More »जनसंख्या नियंत्रण की चुनौती-- बालमुकुंद ओझा
आज विश्व की जनसंख्या सात अरब से ज्यादा है। अकेले भारत की जनसंख्या सवा अरब से अधिक है। भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। आजादी के समय भारत की जनसंख्या तैंतीस करोड़ थी, जो आज चार गुना तक बढ़ गई है। परिवार नियोजन के कमजोर तरीकों, अशिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के अभाव, अंधविश्वास और विकासात्मक असंतुलन के चलते आबादी तेजी से बढ़ी है। संभावना है...
More »जहां ‘मिस्टर’ से ‘महात्मा’ बने गांधी
जिस समय मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद, नस्लभेद और उपनिवेशवादी शोषण के विरुद्ध सामाजिक आंदोलन चला रहे थे, उसी समयावधि में भारत में एक समाज सुधारक अपना सर्वस्व त्याग कर विदेशी शिक्षा, अस्पृश्यता, असमानता, जातिवाद, अशिक्षा, राजनीतिक पराधीनता, अंधविश्वास, पाखंड आदि के विरुद्ध सामाजिक क्रांति कर रहा था। उनका नाम था- महात्मा मुंशीराम (संन्यास नाम स्वामी श्रद्धानन्द), जो हरिद्वार के निकट कांगड़ी नामक गांव में 1902 में गंगा...
More »विकास की परिभाषा में बच्चे कहां!-- अनुज लुगुन
हमारा समाज एक ऐसी दिशा की ओर बेलगाम अग्रसर होता जा रहा है, जहां सब कुछ या तो बहुसंख्यक के लिए ही हो रहा है, या आवाज उठा सकनेवालों के लिए ही हिस्सेदारी बच रही है. जो मूक हैं, या मासूम हैं, उनके लिए कुछ भी नहीं बच रहा है. आज प्रकृति-जीव और बच्चे सामूहिक संहार के शिकार हो रहे हैं, क्योंकि वे अपनी भाषा मनुष्यों को समझा नहीं सकते....
More »