यकीनन यह बेहद खुशी की बात है कि भारत आज दुनिया की सबसे तेज विकास दर वाला देश बन गया है। हाल ही में जारी किए गए नवीनतम अधिकृत डाटा के अनुसार वित्त-वर्ष 2015-16 में भारत की विकास दर 7.6 प्रतिशत थी। यह चीन की 6.7 प्रतिशत विकास दर से बहुत आगे है। इतना ही नहीं, वित्त-वर्ष की पिछली तिमाही में तो 7.9 प्रतिशत से भी अधिक की विकास दर...
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वैश्चिक अर्थव्यवस्था में लड़खड़ाता 'ड्रैगन" और हम - सुषमा रामचंद्रन
चीन की कहानी किसी परीकथा की तरह है। लाखों गरीबों-मजलूमों का यह देश महज चंद दशकों में ही एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में जब उभरकर सामने आया तो सभी हतप्रभ रह गए। हालत यह हो गई?कि चीन को दुनिया की सबसे बड़ी फैक्टरी कहा जाने लगा : एक मैन्युफेक्चरिंग पॉवर हाउस! लेकिन अब लगता है कि चीन के उभार की कहानी जिस तरह से किसी परीकथा की तरह थी,...
More »'नेट न्यूट्रैलिटी' है जरूरी, इंटरनेट पर क्यों हो किसी का एकाधिकार?
भारत में इंटरनेट का उपयोग करनेवालों की संख्या पिछले साल ही 35.4 करोड़ से अधिक हो चुकी थी. इसमें करीब 60 फीसदी इसका इस्तेमाल मोबाइल फोन पर करते हैं. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. लेकिन, इंटरनेट तक सभी लोगों की पहुंच समान रूप से रहे या किसी कंपनी को अलग-अलग वेबसाइट्स के लिए अलग-अलग दरें और स्पीड तय करने का एकाधिकार मिले, इस पर इन दिनों जोरदार बहस...
More »देश को सुधारों से आगे सोचना होगा-- आकार पटेल
एक सुपर पावर बनने के लिहाज से भारत के लिए क्या चीजें जरूरी हैं? पहली चीज तो यह है कि उसे एक महाशक्ति यानी ग्रेट पावर होना होगा. अंतरराष्ट्रीय संबंध में इसे एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में परिभाषित किया गया है- जिसके पास वैश्विक स्तर पर अपने प्रभाव के प्रयोग की योग्यता होती है. हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के पांच स्थायी सदस्यों- अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन-...
More »एक अनूठी विरासत का बेजा विरोध - स्वपन दासगुप्ता
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब भारत के बारे में बाकी दुनिया, विशेष रूप से पश्चिमी जगत में दो तरह की धारणाएं विद्यमान थीं। पहली धारणा यह थी कि भारत का मतलब उत्पीड़न, भुखमरी, बीमारी और बूचड़खाना है। दूसरी धारणा के रूप में भारत की छवि एक ऐसे देश की थी, जहां साधुओं, भिखारियों, सपेरों, बाघों, हाथियों और हीरे-जवाहरातों से लदे महाराजाओं की भरमार है। यही मिथकों वाला भारत था...
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