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COVID-19 की पहली लहर के दौरान ग्रामीण बिहार में अधिकांश परिवारों को आजीविका संकट का सामना करना पड़ा!

मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड सस्टेनेबिलिटी के अर्थशास्त्रियों और नई दिल्ली स्थित मानव विकास संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक सर्वेक्षण आधारित शोध के अनुसार, महामारी की पहली लहर ने पिछले साल बिहार में ग्रामीण श्रमिकों (स्व-रोजगार सहित) की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव डाला था. अध्ययन के लेखकों द्वारा जारी एक हालिया प्रेसनोट से पता चलता है कि पिछले साल ग्रामीण बिहार में आजीविका...

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बिजनेस वुमन बन रही हैं झारखंड की आदिवासी महिलाएं, वनोपज संग्रहण से हो रहा फायदा

-गांव कनेक्शन, हर सुबह 8 बजे सुषमा समद अपनी पांच गज की साड़ी पहनकर दफ्तर जाने के लिए अपने गांव केसरा से साइकिल पर निकलती हैं। उनका दफ्तर गांव से पांच किलोमीटर दूर झारखंड में सिमडेगा जिले के थेथैतानगर ब्लॉक में स्थित है। सुषमा के साथ गांव की ही चार अन्य महिलाएं भी दफ्तर जाती हैं। ये सभी महिलाएं झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसायटी (जेएसएलपीएस) द्वारा स्थापित केंद्र में काम करती...

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मुंबई : 22 साल के सघंर्ष के बाद 580 सफ़ाई कर्मचारियों की बड़ी जीत

-न्यूजक्लिक, दादाराव पाटेकर ने 1996 में बृहन्मुंबई नगरपालिक परिषद (जिसे पहले बृहन्मुंबई नगर निगम या BMC के नाम से जाना जाता था) में सफ़ाई कर्मचारी के तौर पर अपनी सेवाएं शुरू की थीं। 1999 में उन्हें ठेके पर काम करने के लिए 'स्वयंसेवी' के तौर पर शामिल कर लिया गया। इसके बाद उन्होंने स्थायी कर्मचारी के तौर पर अपनी पहचान पाने के लिए लंबी न्यायिक लड़ाई लड़ी। 22 साल बाद औद्योगिक...

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स्वान रिपोर्ट: कोविड-19 की दूसरी लहर में भी प्रवासी मजदूर बेरोजगारी, कर्ज, भुखमरी और अनेकों अनिश्चितताओं में जीवन यापन करने के लिए मजबूर हुए!

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के रूप में, देश के लगभग 92 प्रतिशत श्रमिक (जिनके पास सामाजिक सुरक्षा जाल तक पहुंच नहीं है) एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहे हैं. एक साल से भी कम समय में लगातार दूसरी बार देश में लॉकडाउन हुआ है. 20 अप्रैल, 2021 को, देश भर के 10 राज्यों में आंशिक लॉकडाउन और दिल्ली में पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया. 8 मई, 2021...

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लोग गरीबी और भय के बीच बंगाल के डूआर्स चाय बागानों में कुछ ऐसे लड़ रहे हैं कोविड-19 से लड़ाई

-न्यूजलॉन्ड्री, हिमालय की पहाड़ियों की तलहटी में बसा डूआर्स क्षेत्र घने जंगलों और चाय के बागानों से ढका है. पश्चिम में तीस्ता नदी और पूर्व में सनकोष नदी के बीच 150 किलोमीटर लंबा और 40 किलोमीटर की चौड़ाई वाला यह क्षेत्र अत्यंत सुंदर भी है. क्षेत्र में अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी और कूचबिहार जिले आंशिक तौर पर या पूरे आते हैं. डूआर्स क्षेत्र में मुख्यतः ओराऑन, मुंडा, संतल, खड़िया, मेच, राभा, राजबंसी और नेपाली लोग बसते...

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