-गांव कनेक्शन, ओडिशा के पुरी जिले के किसान भक्त बंधु दास के पास नारियल के 500 से ज्यादा पेड़ हैं। उनकी तरह उनके गांव और जिले के ज्यादातर किसान नारियल के बाग ही लगाते हैं, यही उनका मुख्य पेशा है। नारियल मोटी खेती है, जिसमें नुकसान की आशंका न के बराबर होती है। किसानों का कहना अगर वहां नारियल की मंडी लगने लगे तो नारियल से जुड़े उद्योग लग जाएं तो...
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गांव और गरीब राम भरोसे
-आउटलुक, “सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे से हम सब परिचित हैं, सरकार को मार्च 2020 में ही सचेत हो जाना चाहिए था कि महामारी का असर ग्रामीण क्षेत्र पर कितना भयावह हो सकता है” जब मैं ये पंक्तियां लिख रहा हूं, देश के ग्रामीण इलाकों से महामारी की वीभत्सता की अनेक तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। हमने बिहार और उत्तर प्रदेश में पावन गंगा में बहती लाशों का हृदय विदारक दृश्य भी देखा है।...
More »फुलवारी की सब्जी बाड़ी -बाबा मायाराम
हम अपनी फुलवारी में सब्जी बाड़ी व रंग-बिरंगे फूल लगाते हैं। इसमें कई तरह की हरी भाजियां, फल व सब्जियां होती हैं। बच्चों को हरी ताजी भाजियां खिचड़ी में पकाकर खिलाते हैं, जिससे बच्चों को पोषण मिलता है। अब इस पहल में महिला समूह, पालक और किसान जुड़ गए हैं। यह परमेश्वरी व शिवकुमारी थीं, जो बिलासपुर जिले के करहीकछार गांव में फुलवारी कार्यकर्ता हैं। फुलवारी एक तरह का झूलाघर है,...
More »जब दिशा रवि और नवदीप कौर पत्रकारिता की एक कक्षा में पहुंचीं
-न्यूजक्लिक, हम एक ऑनलाइन क्लासरूम में बैठे हुए थे, जिसमें भारत के अलग-अलग हिस्सों से ताल्लुक रखने वाले करीब़ 20 छात्र मौजूद थे। यहां हम मीडिया में नई अवधारणाओं और तकनीकों के साथ-साथ जीवन की वास्तविकताओं को समझने की कोशिश कर रहे थे। परंपरागत ढंग से पढ़ाने के बजाए बेहतर होता है कि पाठ योजना को हम सवाल-जवाब के विमर्श में बदल लें। मैंने छात्रों से पूछा, "पत्रकारों के लिए टूलकिट...
More »बॉलीवुड में किसानों के ऊपर सिनेमा बनाने का जोखिम कौन लेगा?
-जनपथ, भारत की 60-70 फीसदी जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। कहते हैं कि भारत गांवों में बसता है, बावजूद इसके वर्तमान हिंदी फिल्मों में किसानों की कहानी नहीं के बराबर आती है। लंबे समय से इस देश के किसान किसी बिमल रॉय के इंतजार में हैं जो उनकी दो बीघा ज़मीन पर एक फिल्म बना दे। आम तौर से समाज की आर्थिक संरचना में महत्वपूर्ण योगदान रखने...
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