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यूपी चुनाव: मीठे चुनावी वादे और गन्‍ना किसानों की कड़वी सच्‍चाई

-इंडिया स्पेंड, उत्तर प्रदेश चुनाव में गन्‍ना किसानों के भुगतान का मुद्दा फिर उठ रहा है। एक ओर मौजूदा सरकार रिकॉर्ड भुगतान के दावे कर रही है। वहीं, व‍िपक्ष के नेता भुगतान में देरी की बात करते हुए सरकार बनने पर 15 द‍िन के अंदर भुगतान की बात कर रहे हैं। इन तमाम दावों और वादों से इतर किसान अपने गन्‍ने के पेमेंट की बाट जोह रहा है। उत्‍तर प्रदेश के पीलीभीत ज‍िले के किसान मनजीत...

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ऐसी MSP योजना जो खेती का उद्धार करे

-गांव सवेरा, किसानों का संघर्ष जारी है। यह राजनीतिक सत्ता हासिल करने का संघर्ष नहीं है। यह संघर्ष है भारत की खेती और खेतिहर आबादी के बहुत बड़े हिस्से की आजीविका और रहन सहन को बेहतर करने का जो देश के ज्यादातर हिस्सों में बहुत ही बुरी दशा में है। इसलिए यह निहायत जरूरी हो गया है कि इस शांतिमय जनांदोलन को एक नई दिशा दी जाए ताकि छोटी खेती किसानी...

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नए कीटनाशक प्रबंधन विधेयक से पर्यावरण और जनता को नुकसान, कारोबारियों को फायदा

-कारवां, महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में 6 अगस्त 2021 की रात 42 साल के एक किसान की कीटनाशक जहर से मौत हो गई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, विनोद मसराम चव्हाण अपनी कपास की फसल को घातक गुलाबी बॉलवर्म से बचाने के लिए कीटनाशक नुवाक्रॉन का छिड़काव करते समय उसके संपर्क में आ गए थे. कीटनाशक में मोनोक्रोटोफोस होता है जो एक जहरीला कंपाउंड है. यह अंतरराष्ट्रीय...

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हरित क्रांति की तरह दालों को भी प्रोत्साहन मिलेः आईपीजीए

-रूरल वॉइस, जिस तरह हरित क्रांति के समय अनाज उत्पादन बढ़ाने को प्रोत्साहन दिया गया था, उसी तरह अब समय आ गया है कि देश में दलहन और तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए। इंडिया पल्सेस एंड ग्रेंस एसोसिएशन (आईपीजीए) के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने चौथे विश्व दाल दिवस पर गुरुवार को एक वर्चुअल कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि आज दालों को नीतिगत, शोध और निवेश के...

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पूंजीवाद और लोकतंत्र के ऐतिहासिक रिश्तों के आईने में संवैधानिक मूल्यों की परख

-जनपथ, प्रस्‍तुत लेख पॉपुलर एजुकेशन एंड ऐक्‍शन सेंटर (पीस), दिल्‍ली द्वारा बीते वर्ष अक्‍टूबर में संवैधानिक मूल्‍यों पर शुरू की गयी एक फैलोशिप के तहत चलाए गए अभिमुखीकरण सत्र में दिए गए पहले ऑनलाइन व्‍याख्‍यान का संपादित रूप है। पीस के मुख्‍य कार्यकारी और प्रशिक्षक अनिल चौधरी ने सामाजिक-आर्थिक न्‍याय, पत्रकारिता और कला व संस्‍कृति के फैलोज़ को इस व्‍याख्‍यान में संबोधित किया था। संपादक गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए...

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