विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में आई तेजी का लाभ भी गन्ना किसानों को नहीं मिल रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने से चीनी के निर्यात में तो तेजी आई है, लेकिन गन्ना किसानों के बकाया में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में 7 फरवरी तक बकाया बढ़कर 6,331 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश गन्ना आयुक्त कार्यालय...
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उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया 5,800 करोड़ के पार पहुंचा
विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में आए सुधार से निर्यात में बढ़ोतरी के बावजूद भी उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया लगातार बढ़ रहा है। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन के पहले चार महीनों में ही बकाया बढ़कर 5,896 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है जबकि राज्य के किसानों का पिछले पेराई सीजन का भी अभी तक 996 करोड़ रुपये चीनी मिलों...
More »इन नीतियों से कृषि नहीं उबरेगी
“नीतियों का फोकस बदलें और प्रतिबंधों से मुक्त कर किसान को अपनी बुद्धिमानी से चयन करने दें” कृषि क्षेत्र की नीतियां बनाने में खाद्य सुरक्षा पर फोकस रहा है। यह वाजिब भी है क्योंकि देश में खाद्य वस्तुओं की कमी और आयात पर निर्भरता से निपटने के लिए हरित क्रांति इसी वजह से शुरू की गई। वाजिब कीमत पर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता हमारी नीतियों के केंद्र में रही और बाद...
More »चीनी मिलों के ‘अच्छे दिन’
“गन्ना मूल्य स्थिर रखकर किसान की आय दोगुनी करने के फॉमूले के लिए तो शायद किसी नोबेल अर्थशास्त्री को ही तलाशना होगा” साल 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार और तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारा दिया था- अच्छे दिन आने वाले हैं। उनकी सरकार बनी भी और अब मोदी का प्रधानमंत्री के रूप में दूसरा कार्यकाल चल रहा है। इस बीच अच्छे दिन...
More »जीरो बजट कृषि का विचार नोटबंदी की तरह घातक है- राजू शेट्टी
शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को लेकर एक स्वाभाविक आकर्षण है क्योंकि यह कृषि जैसे मुश्किल व्यवसाय को सरलता से प्रकट करता है। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि में जोखिम कम होता है और पूंजी की आवश्यकता नहीं के बराबर होती है। इसे विदर्भ के किसान नेता सुभाष पालेकर द्वारा गढ़ा गया है जिन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को वैसा ही स्थान मिला...
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