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मंडी, मार्केट और मोदी

-कारवां, अगर हम नरेन्द्र मोदी सरकार और नवउदारवादी टिप्पणीकारों पर यकीन करें तो सरकार के विरोध में प्रदर्शन करने वाले एक लाख से अधिक किसान, जिनमें से अधिकांश ने अपने खेतों पर काम करके, फसल पैदा कर और स्थानीय मंडियों में उसे बेचकर जिंदगी गुजारी है, खेती किसानी के बारे में कुछ नहीं जानते और उन्हें शरारती तत्वों द्वारा गुमराह किया जा रहा है. वे यह नहीं महसूस कर रहे हैं...

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प्रेस की आज़ादी का सवाल अब पत्रकार बिरादरी की चौहद्दी के भीतर हल नहीं हो सकता

-जनपथ, अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2021 में भारत 142वें स्थान पर है। वर्ष 2016 से भारत की रैंकिंग में जो गिरावट प्रारंभ हुई थी वह अब तक जारी है। तब हम 133वें स्थान पर थे। आरएसएफ के विशेषज्ञों ने भारत के प्रदर्शन के विषय में अपनी टिप्पणी को जो शीर्षक दिया है वह अत्यंत महत्वपूर्ण है- “मोदी टाइटेन्स हिज ग्रिप ऑन द मीडिया“। यह टिप्पणी निम्नानुसार...

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मोदी के प्रति हमारी अंधभक्ति से विकराल हुआ कोविड संकट

-कारवां, फिलहाल भारत एक जीता-जागता नरक बना हुआ है. हर दिन यह कोविड मामलों का नया रिकॉर्ड बना रहा है. 25 अप्रैल को भारत में 352951 नए कोविड के मामले सामने आए थे और 2812 लोगों की मौत हुई थी. अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मरीज मर रहे हैं. 21 अप्रैल को महाराष्ट्र के नासिक के एक अस्पताल में तकरीबन 24 मरीज ऑक्सीजन की कमी से मर गए और उसके दो...

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फरवरी-मार्च में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में हो रही थी वृद्धि लेकिन टास्कफोर्स ने नहीं की बैठक

-कारवां, भले ही भारत महामारी की सबसे बुरी मार झेल रहा है लेकिन कोविड-19 के लिए बनाए गए राष्ट्रीय वैज्ञानिक कार्यबल या टास्कफोर्स ने फरवरी और मार्च में एक भी बैठक नहीं की. टास्कफोर्स का काम महामारी की रोकथाम के प्रयासों पर केंद्र सरकार को सलाह देना है. राष्ट्रीय वैज्ञानिक टास्कफोर्स के दो सदस्यों, जो देश के प्रमुख वैज्ञानिकों में से हैं, और इसी टास्कफोर्स की उप समिति के एक सदस्य ने...

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छत्तीसगढ़ में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में बड़े किसानों के साथ आए खेत मजदूर

-कारवां, “मनरेगा में हमें यह सरकार अब मुश्किल से बीस दिन ही काम दे रही है. जब हमने मनरेगा में काम करना शुरू किया था तो किसी साल 50-60, तो किसी साल 80 दिनों तक हमें अपने गांव में ही काम मिल जाता था. पर, हमें तो अपना गुजारा करने के लिए साल के सभी दिन काम चाहिए न. इसलिए, कुछ दिन हम अपने खेत और कुछ दिन बड़े किसानों के खेतों...

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