हर वर्ष बजट की पूर्वसंध्या पर केंद्र सरकार की ओर से आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया जाता है। इस रपट में बीते वर्ष का लेखा-जोखा दिया जाता है। इस वर्ष के सर्वेक्षण में आर्थिक विकास पर न्यायपालिका के प्रभाव को भी बताया गया। इसमें कहा गया कि विकास की तमाम योजनाओं पर कोर्ट ने स्टे दे रखा है, जिसके कारण वे रुकी पड़ी हैं। इन स्टे के कारण 52,000 करोड़ की...
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न इस्तीफा, न किसी की अवमानना! - सुभाष कश्यप
सुप्रीम कोर्ट का संकट अभी तक समाप्त होता नहीं दिख रहा है। इस मामले में सभी तथ्यों को पूरी तौर पर जाने बिना किसी के लिए भी तटस्थता के साथ यह कहना कठिन है कि किसका पक्ष कितना सही है, क्योंकि चार वरिष्ठ न्यायाधीशों की ओर से प्रेस कांफ्रेंस करने और इस दौरान एक लंबी चिट्ठी जारी करने के बाद भी सारी बातें स्पष्ट नहीं हैं। ध्यान रहे कि यह...
More »न्यायपालिका की गरिमा के प्रतिकूल - एनके सिंह
यह भारत की ही नहीं, दुनिया की न्याय बिरादरी में एक भूकंप की मानिंद था। भारत में न्यायपालिका और खासकर सर्वोच्च न्यायालय एक ऐसी संस्था है, जिस पर समाज का बहुत अधिक भरोसा है। जब कोई हर संस्था से न्याय की उम्मीद छोड़ चुका होता है, तो वह सर्वोच्च न्यायालय की ओर निहारता है, लेकिन शुक्रवार को इस न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा आनन-फानन एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया जाता...
More »सुप्रीम कोर्ट में अभूतपूर्व हलचल-- आशुतोष चतुर्वेदी
किसी भी लोकतांत्रिक देश में जब भी कोई संकट की घड़ी आती है, तो उस दौरान उसके प्रशासनिक प्रतिष्ठानों की एक तरह से परीक्षा होती है. लोकतंत्र का भविष्य इससे तय होता है कि ये प्रतिष्ठान कितने गंभीर झटकों को आत्मसात कर सकते हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण हैं अदालतें और उसमें भी सर्वोपरि है सुप्रीम कोर्ट. समय-समय पर अन्य सत्ता प्रतिष्ठानों पर भले ही सवाल उठते रहे हों, लेकिन न्यायपालिका...
More »नये साल की यही शुभकामना !-- योगेन्द्र यादव
अगर चंपारण और रूस की क्रांति के लिए प्रसिद्ध 1917 देश और दुनिया में संभावनाएं खुलने का वर्ष था, तो 2017 देश और दुनिया के सिकुड़ने का साल माना जायेगा. यह साल संभावनाओं के सिकुड़ने का साल था और संवेदनाओं के सिमटने का साल था. बीते साल में भाजपा का विस्तार और लोकतंत्र का पराभव जारी रहा. भाजपा चुनाव भी जीती और राजनीति के खेल भी. उत्तर प्रदेश में...
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