मुरादाबाद के कुदंरकी गांव की रहने वाली इल्मा का बचपन खेत-खलिहान में अठखेलियां करते बीता। पापा किसान थे,मगर तालीम को लेकर बड़े संजीदा रहे। बेटी-बेटे में कोई फर्क नहीं किया। नन्ही इल्मा को किताबों से बड़ा प्यार था। स्कूल से लौटने के बाद खुद ही पढ़ने बैठ जाती। पापा को बेटी से स्कूल के किस्से सुनना बड़ा पंसद था। हर साल फसल बेचने के बाद वह सबसे पहले बेटी...
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कभी बीड़ी बनाती थी गरीब लड़की, अब बनेगी डॉक्टर
कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो राह में आने वाली हर परेशानी हार मान लेती है. कुछ ऐसी ही कहानी है पश्चिम बंगाल की रहने वाली मौसमी खातून की. जिसकी पढ़ाई में तो दिलचस्पी थी, लेकिन पैसों की कमी होने के कारण आगे बढ़ने की राह नहीं मिल रही थी. फिर भी निराश होने की बजाए उसने हिम्मत रखी और मेहनत से पढ़ाई को...
More »शिक्षक यात्रा : मालिक से मजदूर तक-- मृदुला सिन्हा
अब भी हमारे समाज में वे लोग मौजूद हैं, जिनकी कमीज उठाइए, तो पीठ पर गुरुजी की छड़ी के निशान होंगे. किसी की उंगली टेढ़ी, तो किसी की आंख में भी कुछ खराबी. पूछने पर बिना दांत के जबड़े हिलाते वे बड़े फख्र से कहेंगे- 'मैंने पंद्रह से बीस तक पहाड़ा याद करके नहीं सुनाया था, गुरुजी ने अपनी छड़ी मेरी झुकी पीठ पर चलाते हुए सारा पहाड़ा सुन लिये. ...
More »गरीबी का दंश, सिर छिपाने को झोपड़ी, स्ट्रीट लाइट में पढ़ाई
धमतरी। सरकार छात्र-छात्राओं के बेहतर भविष्य के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है। इसके बावजूद होनहार छात्र झोपड़ी में रहकर स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ाई-लिखाई करने मजबूर हैं। बमुश्किल दो वक्त का खाना मिल पाता है। कई बार तो रात में भूखा सोना पड़ता है। ग्राम पंचायत डोमा में निवासरत शत्रुघन सोनवानी और उसके चार बच्चे की यही दास्तान है, जो शासन-प्रशासन की योजनाओं को मुंह चिढ़ाती...
More »कबाड़ के बाजार में हमारी निजता-- हरजिंदर
फेसबुक, ट्विटर या किसी अन्य सोशल मीडिया साइट पर आपने क्या डाला? अपनी जन्मतिथि, अपनी उम्र, शादी की तारीख, अपने शहर का मौसम, सहपाठियों की तस्वीरें, सहकर्मियों की पार्टी, भूली जा चुकी यात्राओं का विवरण, बेवजह की बहस, तू-तू और मैं-मैं, कविताएं, चुटकुले, नसीहतें, चचेरे भाई की वरमाल का वीडियो, दोस्त की शादी का भांगड़ा, ढेर सारी बधाइयां, शुभकामनाएं, दुआएं और श्रद्धांजलि...। सूची अंतहीन हो सकती है, पर ये आपके...
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