खूंटी के सेफागड़ा गांव की रहने वाली अमिता टूटी से आप 5-10 मिनट किसी भी विषय पर बात कर लें, तो उनकी गहरी संवेदनशीलता का आपको अहसास हो जायेगा. अपने आसपास व आदिवासी समुदाय के लोगों की परेशानियों और उजड़ते जंगल व पर्यावरण के संकट ने उन्हें जंगल बचाने वाली आंदोलनकारी बना दिया. पिछले आठ-नौ सालों से वे जंगल बचाओ आंदोलन से जुड़ कर वन रक्षा व उसके विस्तार के लिए...
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खाद्य सब्सिडी का अंकगणित - अमित तिवारी
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल का बड़ा अहम फैसला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में बड़ा फैसला करते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को पास कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। कड़ी जद्दोजहद के बाद आखिरकार विधेयक पास भी हो गया। लेकिन इसी के साथ आर्थिक संकट से जूझ रहे राजकोष पर पडऩे वाले...
More »मुखिया संवार रहे हैं गांव-पंचायत की सूरत
सरकार द्वारा पंचायतों को हस्तांतरित अधिकार का भरपूर उपयोग जामाताड़ा जिले के पंचायत प्रतिनिधियों ने किया. जब से सरकार ने शिक्षा, कल्याण, स्वास्थ्य, आपूर्ति, मनरेगा योजना का संचालन सहित अन्य कार्यक्रमों के अनुश्रवण का जिम्मा पंचायतों को दिया है, तब से इन प्रतिनिधियों में काम करने का एक अलग उत्साह देखा जा रहा है. प्रतिनिधि सरकार की सभी कल्याणकारी एवं महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ हर जरूरतमंद लोगों को दिलाने के...
More »मिड-डे मील योजना में सुधार का वक्त
इस महीने की शुरुआत में आयी एक खबर चौंकानेवाली थी. इसमें कहा गया था दिल्ली के 80 फीसदी परिवार यह नहीं चाहते कि उनके बच्चे स्कूलों में दिया जा रहा मध्याह्न् भोजन खाएं. एक अंगरेजी अखबार द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में 99 फीसदी बच्चों ने कहा था कि वे स्कूलों में उपलब्ध कराये जा रहे भोजन से संतुष्ट नहीं हैं. इस सर्वे के परिणाम वास्तव में हमारे देश में महान इरादों...
More »‘ऐसे कानून के लिए हम विकास दर बढ़ने का इंतजार करते रहें, यह जरूरी तो नहीं’
खाद्य सुरक्षा विधेयक पर अलग-अलग खेमों से अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है. सामाजिक कार्यकर्ता इसकी तारीफ कर रहे हैं तो कॉरपोरेट जगत इस पर चिंतित है. अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज, रेवती लॉल को बता रहे हैं कि क्यों देश को इस कानून की जरूरत है और इसमें कौन-सी खामियां हैं जो दूर होनी चाहिए. खाद्य सुरक्षा विधेयक ने तमाम आशंकाएं पैदा कर दी हैं. पहली आशंका यह है कि देश के...
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